पशुओं को खिलाने के लिए हरे चारे की आवश्यकता सबसे ज्यादा होती है, खासकर खरीफ के मौसम में. इस मौसम में ज्वार और मक्का जैसी फसलें हरे चारे के रूप में बहुत ही उपयोगी होती हैं. यह फसलें पशुओं को आवश्यक पोषण प्रदान करती हैं और उनके स्वास्थ्य और दूध उत्पादन में सुधार करती है और उन्हें बढ़ाने में मदद करती हैं. आइए जानते हैं ज्वार और मक्का की खरीफ में खेती से जुड़ी मुख्य बातें.
ज्वार ऐसी फसल है जो अधिक तापमान और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती है. इसे लगभग सभी प्रकार की उपजाऊ भूमि में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी में इसकी उपज अधिक होती है.
ज्वार की किस्मों को दो भागों में बांटा जाता है:
1.एकल कटाई वाली किस्में
2.बहु कटाई वाली किस्में
पोटाश और जिंक की कमी हो तो 40 किग्रा पोटाश और 10-20 किग्रा जिंक सल्फेट देना चाहिए. जैविक खादों का प्रयोग करने से लागत कम और उपज अधिक होती है.
मक्का का हरा चारा कार्बोहाइड्रेट, खनिज, विटामिन A और E से भरपूर होता है. इसका साइलेज भी बहुत अच्छा बनता है, जिससे पशुओं को साल भर पोषण मिलता है.
मक्का की वृद्धि कम तापमान और उच्च आर्द्रता में अच्छी होती है. अधिक गर्मी और कम नमी में पौधे जल सकते हैं.अफ्रीकन टाल: 55-80 टन/हेक्टेयर (उपयुक्त: सम्पूर्ण भारत). मक्का की प्रमुख किस्म विजय कम्पोजिट, मोती कम्पोजिट जो 35-47 टन/हेक्टेयर तक पैदावार देती है.
खरीफ मौसम में ज्वार और मक्का चारे की सबसे उपयुक्त और पोषक फसलें हैं. सही समय पर बुवाई, उन्नत किस्मों का चुनाव, उचित खाद-सिंचाई प्रबंधन और समय पर कटाई से किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. इससे पशुधन को पौष्टिक चारा मिलता है और दुग्ध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.
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