रबी के सीजन में सरसों प्रमुख फसलों में से एक होती है. किसानों के लिए सरसों की खेती नकदी फसल मानी जाती है. लेकिन अगर आप सरसों की फसल के साथ मधुमक्खी पालन (Beekeeping) भी करेंगे, तो सरसों के उत्पादन और लाभ दोनों काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि सरसों की फसल के साथ जब मधुमक्खियों का पालन करते हैं तो ये सरसों के ही खेत से परागण (Pollination) करती हैं जिससे उपज में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी होती है. इतना ही नहीं सरसों के साथ किसानों को शुद्ध शहद भी मिलता है, जिसे वह बाजार में अच्छे दाम में बेच सकते हैं.
दरअसल, फूलों का रस चूसने के लिए मधुमक्खियां सरसों के खेत में फूल से फूल पर जाती हैं और पराग कणों का बड़े स्तर पर आदान-प्रदान करती हैं. इस प्रक्रिया को परागण कहा जाता है. सरसों की फसल में अधिक परागण होने से इनके दानों की संख्या और गुणवत्ता दोनों में बहुत बेहतरी हो जाती है. परिणामस्वरूप, एक ही खेत से किसान को सरसों की अधिक उपज प्राप्त होती है.
मधुमक्खी के परागण से जहां एक ओर सरसों की फसल का उत्पादन बढ़ता है, वहीं शुद्ध शहद भी बिना लागत के प्राप्त होता है. शुद्ध शहद की बाजार में डिमांड भी बहुत होती है और इसका दाम भी अच्छा मिलता है. इसके लिए तो आपको बाजार तक भी नहीं जाना पड़ेगा और ये हाथों-हाथ खेत से ही बिक जाएगा. इस तरह, किसान को सरसों की फसल से दोहरा फायदा मिलता है, एक ओर उत्पादन में बढ़ोतरी और दूसरी ओर अतिरिक्त आय का स्रोत.
सबसे अच्छी बात ये है कि मधुमक्खियां जब परागण करेंगी तो सिर्फ सरसों की फसल में ही नहीं करेंगीं, बल्कि आसपास की दूसरी फसलें के लिए भी फायदेमंद साबित होती हैं. इससे जैव विविधता (Biodiversity) बनी रहती है और प्राकृतिक परागण प्रक्रिया भी मजबूत होती है. इसके अलावा, मधुमक्खी पालन किसानों को आधुनिक और सतत खेती की ओर भी प्रेरित करता है.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाता है. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) एक केंद्रीय योजना है, जिसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा चलाया जाता है. इसका उद्देश्य वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन को बढ़ाना, शहद एवं अन्य मधु उत्पादों की गुणवत्ता सुधारना और ग्रामीण एवं गैर-कृषक परिवारों की आय बढ़ाना है. कई राज्य सरकारें भी मधुमक्खी पालन पर भारी सब्सिडी देती हैं. बिहार सरकार मधुमक्खी बॉक्स, छत्ते, प्रसंस्करण सामग्री आदि पर भी सामान्य जाति वाले किसानों को 75% तक और SC/ST किसानों को 90% तक की सब्सिडी देती हैं.
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