केंद्र सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में इजाफा किया है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने विपणन सीजन 2026-27 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दे दी है. इस बैठक में गेहूं की एमएसी में 160 रुपये का इजाफा किया है और चने की एमएसपी में 250 रुपये प्रति क्लिंटल बढ़ाएं हैं. सरकार ने किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए विपणन सीजन 2026-27 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में ये वृद्धि की है.
गेहूं | 2585 | 1239 | 109 | 2425 | 160 |
जौ | 2150 | 1361 | 58 | 1980 | 170 |
चना | 5875 | 3699 | 59 | 5650 | 225 |
मसूर | 7000 | 3705 | 89 | 6700 | 300 |
रेपसीड और सरसों | 6200 | 3210 | 93 | 5950 | 250 |
कुसुम | 6540 | 4360 | 50 | 5940 | 600 |
रबी फसलों की इस एमएसपी में सबसे ज़्यादा बढ़ोतरी कुसुम के लिए 600 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल की गई है. रेपसीड और सरसों के लिए 250 रुपये प्रति क्विंटल, चना के लिए 225 रुपये प्रति क्विंटल, जौ के लिए 170 रुपये प्रति क्विंटल और गेहूं के लिए 160 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है. बता दें कि मार्केटिंग सीजन 2026-27 के लिए अनिवार्य रबी फसलों के लिए एमएसपी में ये वृद्धि, केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की बात कही गई थी.
अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत (margin over All-India weighted average cost) पर अपेक्षित मार्जिन गेहूं के लिए 109 प्रतिशत है, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 93 प्रतिशत, मसूर के लिए 89 प्रतिशत, चने के लिए 59 प्रतिशत, जौ के लिए 58 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है. रबी फसलों के इस बढ़े हुए एमएसपी से किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होगा और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन मिलेगा.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की इस बैठक में दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन को भी मंजूरी दी गई है. इस पहल का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और दलहनों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है. यह मिशन 2025-26 से 2030-31 तक, 6 सालों की अवधि में, 11,440 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ क्रियान्वित किया जाएगा. दलहन मिशन से 2030-31 तक उत्पादन 350 लाख टन तक बढ़ाया जाएगा. इसके तहत उन्नत बीजों, कटाई उपरांत बुनियादी ढांचे और सुनिश्चित खरीद के माध्यम से लगभग 2 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा.
दलहन बीजों की नई-नई किस्मों तक किसानों की पहुंच को मजबूत करने के लिए 88 लाख मुफ्त बीज किट वितरित की जाएंगी. इसके साथ ही फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए 1,000 प्रसंस्करण इकाइयों की योजना भी बनाई गई है. अगले 4 सालों के दौरान किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तुअर, उड़द और मसूर की 100% खरीद की जाएगी.
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