केरल पोर्ट से पाम तेल के आयात पर पाबंदी से व्यापारी नाराज, फैसला वापस लेने की मांग

केरल पोर्ट से पाम तेल के आयात पर पाबंदी से व्यापारी नाराज, फैसला वापस लेने की मांग

व्यापारियों का कहना है, प्रदेश के छोटे पोर्ट जैसे कोल्लम और बेपोर को आधुनिक बनाने पर बहुत काम हुआ है. ये दोनों पोर्ट आयात के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लेकिन डीजीएफटी के हालिया फैसले से ऐसे पोर्ट के विकास प्रभावित होंगे. मेंगलुरु और थुट्टूकुडी पोर्ट पर माल का अनलोड खर्च बढ़ने से पाम तेल के महंगा होने की संभावना है.

केरल के कई पोर्ट पर पाम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है (सांकेतिक तस्वीर-unsplash)केरल के कई पोर्ट पर पाम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है (सांकेतिक तस्वीर-unsplash)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 05, 2023,
  • Updated Jan 05, 2023, 2:08 PM IST

केरला के बंदरगाहों पर पाम तेल के आयात पर रोक लगी है. इसका फैसला डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने लिया है. केरला के व्यापारी संगठन और बंदरगाहों का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां इस फैसले के विरोध में उतर आए हैं. यहां आयात पर रोक पहले से है, लेकि अभी उसे और बढ़ा दिया गया है जिसके बाद विरोध के स्वर और भी तेज हो गए हैं. व्यापारियों और कंपनियों का कहना है कि आयात पर रोक बढ़ने से केरला में छोटी-बड़ी सभी बंदरगाहों की कमाई मारी जाएगी.

केरला एक्सपोर्टर्स फोरम के मुनशीद अली ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, प्रदेश के छोटे पोर्ट जैसे कोल्लम और बेपोर को आधुनिक बनाने पर बहुत काम हुआ है. ये दोनों पोर्ट आयात के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. लेकिन डीजीएफटी के हालिया फैसले से ऐसे पोर्ट के विकास प्रभावित होंगे. मेंगलुरु और थुट्टूकुडी पोर्ट पर माल का अनलोड खर्च बढ़ने से पाम तेल के महंगा होने की संभावना है. पोर्ट बंद होने से कार्गो का ढुलाई खर्च बढ़ेगा जिसका असर पाम तेल के बढ़े हुए दाम के रूप में दिखेगा.

ये भी पढ़ें: ठंड के मौसम में शीतलहर से कैसे करें मछलियों का बचाव, एक्सपर्ट टिप्स

केरला पोर्ट पर पाम तेल के आयात पर लगी पाबंदी का विरोध वहां के एक्सपोर्टर्स और कॉमर्स चैंबर लगातार कर रहे हैं. इन संगठनों की मांग है कि इस पांबदी को जल्द खत्म किया जाए. फोरम ने केरल सरकार और कृषि-उद्योग विभाग से अनुरोध किया है कि उनकी मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाई जाए ताकि इस पर कुछ सुनवाई हो सके.

कोचीन पोर्ट पर 2007 में पाम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया. यह कदम इसलिए उठाया गया ताकि प्रदेश में नारियल तेल के भाव में उछाल आ सके. व्यापारी संगठनों का कहना है कि 15 साल बीत गए, लेकिन पाबंदी यूं ही बरकरार है. इससे न तो प्रदेश के नारियल किसानों को कुछ फायदा हुआ और न ही पाम आयल के किसान ही लाभ पा सके. इस पाबंदी के चलते कोचीन और बेपोर पोर्ट पर ट्रैफिक बहुत अधिक प्रभावित हुआ है. आयात-निर्यात और ढुलाई का बिजनेस भी बड़े पैमाने पर मारा गया है.

ये भी पढ़ें: हर‍ियाणा में गन्ने के भाव बढ़ाने पर नहीं हो सका फैसला, क‍िसानों ने आंदोलन की दी है चेतावनी

कोचीन पोर्ट के जरिये प्राकृतिक रबर के आयात पर भी रोक है. हालांकि इसी रबर को थुट्टूकुडी, चेन्नई और न्यू मेंगलोर पोर्ट से आयात की इजाजत है. इस वजह से केरल में इतनी दूरी से रबर आने से उसके दाम में बढ़ोतरी देखी जा रही है. रबर के इस्तेमाल में तो कोई कमी नहीं देखी जा रही है, लेकिन केरल के कोचीन पोर्ट पर पाबंदी से रबर के दाम बढ़ गए हैं. कोचीन पोर्ट यूजर्स ने केंद्र सरकार से पत्र लिखकर मांग की है कि डीजीएफटी के आयात पर प्रतिबंध से जुड़े फैसले पर एक बार विचार किया जाए.

MORE NEWS

Read more!