
कर्नाटक के बेलगावी, विजयपुर और बागलकोट जिलों के गन्ना किसानों ने 30 अक्टूबर को मुदलगी तालुक के गुरलापुर क्रॉस पर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है. उनकी मांग है कि कर्नाटक सरकार कटाई और ट्रांसपोर्ट खर्च को छोड़कर गन्ने की कीमत 3,500 रुपये प्रति टन तय करे. वे चाहते हैं कि स्टेट एडवाइजरी प्राइस (SAP) महाराष्ट्र की दरों के बराबर हो, जहां मिलें कटाई और ट्रांसपोर्ट का खर्च भी उठाती हैं. 'डेक्कन हेराल्ड' की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
बेलगावी जिले में 28 चीनी मिलें हैं और इन मिलों में नवंबर में शुरू होने वाले पेराई सीजन की तैयारी चल रही है. हालांकि, किसान इस बात पर अड़े हैं कि फैक्ट्रियां महाराष्ट्र जैसी कीमतें तय करें, जहां मिलें लंबी दूरी के लिए भी ट्रांसपोर्ट का खर्च उठाती हैं. कई किसान नेताओं ने सवाल उठाया कि कर्नाटक की फैक्ट्रियां ऐसा क्यों नहीं कर सकतीं.
डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद रोशन की अध्यक्षता में एस निजलिंगप्पा शुगर इंस्टीट्यूट में हुई एक हालिया बैठक में किसान समूहों और फैक्ट्री के नुमाइंदों के बीच समझौता कराने की कोशिश की गई. फैक्ट्रियों ने 3,050 रुपये प्रति टन की पेशकश की, लेकिन किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और 3,500 रुपये की अपनी मांग पर अड़े रहे.
राष्ट्रीय रायथा संघ के नेता प्रकाश नायक ने आरोप लगाया कि एक मजबूत फैक्ट्री लॉबी सरकार को प्रभावित कर रही है और सही कीमत की घोषणा में देरी कर रही है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फैक्ट्रियों को कटाई और ट्रांसपोर्ट का खर्च उठाना चाहिए और मिलों में सही वजन कराने के लिए सख्त जांच की जानी चाहिए.
कर्नाटक राज्य रायथा संघ और हसिरू सेने के अध्यक्ष चोनप्पा पुजारी ने कहा कि बेंगलुरु में शुगर कमिश्नर के साथ हाल ही में हुई एक बैठक में, किसान समूहों ने एक आदेश हासिल किया है जिसमें फैक्ट्रियों को 20 नवंबर से पहले पेराई सीजन शुरू करने से रोका गया है.
पुजारी ने कहा, "सरकार चीनी और उसके बाय-प्रोडक्ट्स पर टैक्स से काफी रेवेन्यू कमाती है," और कहा कि "गन्ने के हर टन पर लगभग 5,000 रुपये टैक्स मिलता है. इसलिए, किसानों को मुफ्त बिजली देने को कम गन्ने की कीमतों का कारण बताना गलत है." उन्होंने बताया कि अकेले बेलगावी जिले में चीनी मिलें हर सीजन में लगभग 1.5 करोड़ टन गन्ने की पेराई करती हैं.
पुजारी ने कहा कि तीनों जिलों के हजारों किसान गुरुवार के विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे. उन्होंने कहा, "हम इस बात पर जोर देंगे कि मंत्री विरोध स्थल पर आएं और हमें हमारी कीमत की मांग का आश्वासन दें. गन्ना किसानों के हितों की रक्षा करने में किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता."