Water Chestnut: धौलपुर में इस बार सिंघाड़े का बंपर उत्‍पादन, किसानों के चेहरे खिले  

Water Chestnut: धौलपुर में इस बार सिंघाड़े का बंपर उत्‍पादन, किसानों के चेहरे खिले  

धौलपुर जिले में ज्यादातर सिंघाड़े की पारम्परिक खेती बाड़ी,सरमथुरा और डांग इलाके में करीब 150 जगह की जाती हैं. लेकिन दुमंती सिंघाड़े की मिठास के लोग कायल हैं. सिंघाड़े की बंपर पैदावार के चलते किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं. इस सिंघाड़े की मिठास और फल की खूबसूरती से खरीदार इनके कायल रहते हैं. सिंघाड़े की मंडी में अच्छी कीमत मिलने से किसान खुश हैं.

Water ChestnutWater Chestnut
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 26, 2025,
  • Updated Oct 26, 2025, 1:21 PM IST

राजस्थान के धौलपुर जिले में इस बार बारिश ठीक होने से सिंघाड़े की बंपर पैदावार हुई है. जिले में जगह-जगह लाल पत्थर की खदानों में भरे पानी में इस बार किसानों ने पारंपरिक सिंघाड़े की खेती कर सिंघाड़े की जमकर पैदावार की है. धौलपुर जिले के दुमंती सिंघाड़े की आगरा, ग्वालियर और दिल्ली तक डिमांड हैं. साथ ही पानी के इस फल की धौलपुर ही नहीं आस-पास की मंडियों में भी डिमांड बनी हुई हैं. धौलपुर जिले से होकर गुजर रहे करौली-धौलपुर हाइवे एनएच ग्यारह बी पर बाड़ी रोड पर करीब पचास किसान फड़ लगा कर सिंघाड़े बेच रहे हैं. इस हाइवे से गुजरने वाले राहगीर और यात्री जम कर सिंघाड़े खरीद रहे हैं. धौलपुर का सिंघाड़ा औषधि और आटे के लिए काम में लिया जाता हैं. धीरे-धीरे सर्दी की रंगत जमने के साथ ही बाजार में भी सिंघाड़े की बहार सी आ गई है और धौलपुर के सिंघाड़े की मिठास लोगो को लुभा रही है. 

दुमंती का सिंघाड़ा है खास 

धौलपुर जिले में ज्यादातर सिंघाड़े की पारम्परिक खेती बाड़ी,सरमथुरा और डांग इलाके में करीब 150 जगह की जाती हैं. लेकिन दुमंती सिंघाड़े की मिठास के लोग कायल हैं. सिंघाड़े की बंपर पैदावार के चलते किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं. इस सिंघाड़े की मिठास और फल की खूबसूरती से खरीदार इनके कायल रहते हैं. सिंघाड़े की मंडी में अच्छी कीमत मिलने से किसान खुश हैं. मंडी में 18 से 20 रुपए किलोग्राम सिंघाड़े का भाव मिल रहा हैं और 25 से 30 रुपए में बेचा जा रहा हैं.

कैसे होती है खेती 

किसान दुर्गा, प्रियंका, शिवचंद्र और रामवीर ने बताया कि सिंघाड़े की खेती को उनके पूर्वज करते आ रहे हैं. पत्थर की खदानों और खलतियों में जब पानी आना शुरू हो जाता हैं तो उत्तर प्रदेश के जलेशवर से सिंघाड़े की बेल दस रुपए में खरीद कर लाते हैं और करीब तीन सौ बेल खरीद कर लाते हैं. इन बेलों को पानी में लगा देते हैं उसके बाद इन बेलों को काट काट कर कई बीघा में फैला देते हैं. एक बीघा में करीब 60 हजार की लागत आती हैं. कीटनाशक दवा के रूप में गेंहूं और बाजरे की दवाई देते हैं. किसानो ने बताया कि सिंघाड़े की खेती के लिए कीटनाशक दवा बननी चाहिए हैं और बाजार में मिलती भी नहीं हैं. दूसरी फसल की दवाई से फायदा नहीं होता हैं. किसानो ने बताया कि सिंघाड़ा पानी में रहता हैं तो इस फल में गिराड़ और बाकी रोग भी लग जाते हैं. 

अक्‍टूबर से दिसंबर तक सीजन 

किसानों ने बताया कि अक्टूबर माह शुरू होते बेलों में सिंघाड़ा आना शुरू हो जाता हैं और दिसंबर तक चलता हैं. किसानों के मुताबिक एक बेल में से करीब सात बार सिंघाड़े की तुड़ाई हो जाती हैं और दस दिन बाद बेल में फिर फल आ जाता हैं. किसानो ने बताया कि धौलपुर के दुमंती सिंघाड़े की डिमांड आगरा, ग्वालियर,दिल्ली और आस-पास की मंडियों में काफी है और भाव भी अच्छा मिलता हैं. यह खाने में मीठा हैं और यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. इसमें विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट होता हैं. 

इस बार लंबा होगा सीजन 

किसानों के अनुसार सिघांड़े के छिलके को हटा कर जो सफेद फल निकलता हैं, उसको सूखाने के बाद आटा भी बनाया जाता हैं. इसका हलवा और खाद्य पदार्थ बनाये जाते हैं. गर्मी के दिनों में यह काफी ठंडक देता हैं. यह खून की कमी को पूरा करता हैं और यह साफ पानी में ही लगता हैं. किसानों ने बताया कि इस बार सिंघाड़े का सीजन लंबा चलने की उम्मीद है. पानी की भी कोई कमी नहीं है. ऐसे में सिंघाड़े का उत्पादन और मांग फरवरी माह तक रहने की संभावना है. किसानों ने बताया कि सिंघाड़े की खेती में जोखिम और मेहनत ज्यादा है. धौलपुर जिले में दुमंती,हरा,लाल,बैगनी रंग के सिंघाड़े की किस्मे सबसे ज्यादा लोकप्रिय है.

कई पोषक तत्‍वों की खान 

सिंघाड़ा एक स्वादिष्ट, मीठा और पौष्टिक फल है जिसकी व्रत-उपवास में ज्यादा डिमांड रहती है. सिंघाड़े में विटामिन-ए, सी, मैगनीज, थायमाइन, कर्बोहाईड्रेट, सिट्रिक एसिड, प्रोटीन, फैट और बाकी पोषक तत्व पाए जाते हैं. जो शरीर को कई फायदे पहुंचाने में मदद करते हैं. सिंघाड़ा शरीर की कमजोरी को दूर करने में मददगार साबित होता है,क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट,आयरन,कैल्शियम,जिंक और फॉस्फोरस जैसे तत्व पाए जाते हैं,जो शरीर की शक्ति को बढ़ाते हैं.

थायरॉयड के मरीज के लिए यह वरदान से कम नहीं है. सिंघाड़ा पानी का फल है.लेकिन यह फल कीट-रोगों की चपेट में आ जाता है. वाटर बीटल, रेड डेट, नील भृंग, महू और घुन के कारण सिंघाड़े को काफी नुकसान होता है. इसकी रोकथाम के लिए बाजार में कीटनाशक दवा मिलती नहीं हैं. किसान गेंहूं और बाजरा और अन्य फसलों में दी जाने वाली कीटनाशक का उपयोग करते हैं.

यह भी पढ़ें- 

MORE NEWS

Read more!