Cherry Himachal: हिमाचल प्रदेश में चेरी की कटाई जोरों पर है ऐसे में ऊपरी शिमला क्षेत्र के किसानों के साथ-साथ बागवानों को भी हर पल बदलते हुए मौसम का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में मौसम की स्थिति से फसलों को बचाने के लिए गांव स्तर पर फल प्रोसेसिंग यूनिट्स की तुरंत जरूरत महसूस हो रही है. चेरी किसानों को उनकी फसलों के लिए 100 रुपये से 1,000 रुपये प्रति बॉक्स, जिसमें से हर बॉक्स का वजन 400 से 650 ग्राम के बीच, के बीच अच्छे दाम मिल रहे हैं. हालांकि मौसम की स्थिति में अचानक बदलाव के कारण फसलों को बाजारों में भेजते समय उन्हें अक्सर लॉजिस्टक्स से जुड़ी समस्याओं से जूझना पड़ता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि लोकल लेवल पर छोटे पैमाने की प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाने से किसानों को अपनी फसलों को जल्दी से प्रोसेस्ड करने में मदद मिलेगी. उनका कहना था कि अप्रैल और मई के महीनों में हिमाचल प्रदेश में चेरी को सबसे ज्यादा कीमत वाली फल की फसल माना जाता है. लेकिन कम शेल्फ लाइफ के चलते बाजार में उपज का समय पर कार्गो महत्वपूर्ण हो जाता है. बागवानी विभाग के विशेषज्ञ संजय चौहान ने बताया कहते हैं कि अगर कटाई के बाद चेरी का स्टोरेज नहीं किया जाता है तो यह जल्दी खराब हो जाती है. फायदेमंद कीमत पाने के लिए फसल को जल्द से जल्द बाजार में पहुंचाना पड़ता है.
उन्होंने कहा कि किसानों को उचित ग्रेडिंग सुनिश्चित करनी चाहिए और फल पूरी तरह पकने पर ही कटाई करनी चाहिए. उनका कहना था कि चेरी की फसल अपने चरम पर है लेकिन लगातार मौसम की गड़बड़ी से कार्गो में देरी हो रही है. राज्य में किसान और बागवान संघ के मुखिया सयोगी ने कहा कि कम से कम सही स्टोरेज से किसानों को मौसम संबंधी चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा, 'हम सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे पैमाने के प्रोसेसिंग प्लांट लगाने की अपील करते हैं ताकि उपज को लोकल लेवल पर प्रिजर्व और प्रोसेस्ड किया जा सके.'
चेरी किसान चुन्नी लाल ने बताया कि कटाई दो हफ्ते पहले शुरू हुई है. लेकिन अनियमित मौसम की स्थिति फसल की क्वालिटी पर असर डाल रही है. भट्टी कोटगढ़ के एक और किसान विवेक कपूर ने कहा कि चेरी को अर्जेंट प्रोसेसिंग की जरूरत है. इसके लिए लोकल प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाना बहुत जरूरी हैं. चेरी की खेती हिमाचल प्रदेश की 200 करोड़ रुपये की इकोनॉमी है.
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