भारत में चावल की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा कार्बन क्रेडिट, जानें इसके बारे में सबकुछ 

भारत में चावल की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा कार्बन क्रेडिट, जानें इसके बारे में सबकुछ 

परंपरागत तौर पर चावल उगाने वाले किसान पहले नर्सरी में पौधे उगाते हैं और फिर उन्हें जोते हुए, समतल और पानी भरे धान के खेतों में रोपते हैं. इस प्रक्रिया में बहुत मेहनत लगती है और बाद के महीनों में पौधों को लगाने और उन्‍हें विकसित करने के लिए जल स्तर स्थिर रखना पड़ता है.

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 09, 2025,
  • Updated Apr 09, 2025, 12:46 PM IST

बेयर (Bayer) ने भारत में डायरेक्‍ट सीडेड राइस (DSR) खेती जैसी री-जर्नेटिव परंपराओं को लागू करने वाले हजारों धान किसानों से कार्बन क्रेडिट की अपनी पहली श्रंखला की घोषणा की है. बेयर एक जर्मन बहुराष्ट्रीय कंपनी है जो स्वास्थ्य सेवा और कृषि के क्षेत्र में काम करती है. कंपनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि 250,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड इक्‍वेलेंट (CO2e) तक के क्रेडिट को वॉलेंटियरी कार्बन बाजार में गोल्ड स्टैंडर्ड से मान्‍यता और प्रमाणित किया जा रहा है. 

खेती में उभरती हुई परंपरा 

अखबार द हिंदू बिजनेस लाइन की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार कंपनी का कहना है कि ये क्रेडिट जलवायु के प्रति जागरूक कंपनियों के लिए ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी, पानी की बचत और छोटे किसानों की खेती में regenerative agriculture (पुनर्योजी कृषि) के समर्थन में खरीदने के लिए उपलब्ध होंगे. बेयर राइस कार्बन प्रोग्राम को भारत के 11 राज्यों में लागू किया गया है. ये वो राज्‍य हैं जहां पिछले दो सालों में हजारों किसानों ने रि-जर्नेटिव कृषि परंपराओं को अपनाया है. वैकल्पिक तौर पर गीला करने और चावल को सुखाने की तकनीकों के साथ, डीएसआर नए कार्बन क्रेडिट पैदा करने वाली उभरती हुई परंपराओं में से एक है. 

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कंपनी की मानें तो यह पहली बार है जब बेयर एशिया में पुनर्योजी फसल उत्पादन के नतीजों पर कार्बन क्रेडिट जारी करेगा. बेयर के क्रॉप साइंस डिपार्टमेंट में इकोसिस्‍टम सर्विस बिजनेस डेवलपमेंट के वाइस प्रेसीडेंट जॉर्ज मैजेला ने कहा, 'बेयर राइस कार्बन प्रोग्राम सैकड़ों हजारों हाई क्‍वालिटी वाले कार्बन क्रेडिट पैदा कर रहा है. इस बड़े पैमाने पर पायलट के साथ पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने के प्रोजेक्‍ट्स में फीडिंग के साथ कई और पाइपलाइन में हैं.'  

किसानों के साथ काम कर रही टीमें 

बेयर राइस कार्बन प्रोग्राम में भाग लेने वाले किसानों को पूरे मौसम में फसल सलाहकार सेवाओं की सुविधा मिलेगी. मैजेला के अनुसार, 'हमारी टीमें जमीनी स्तर पर किसानों के साथ काम कर रही हैं क्योंकि वो नई पद्धतियों को अपना रहे हैं.'  परंपरागत तौर पर चावल उगाने वाले किसान पहले नर्सरी में पौधे उगाते हैं और फिर उन्हें जोते हुए, समतल और पानी भरे धान के खेतों में रोपते हैं. इस प्रक्रिया में बहुत मेहनत लगती है और बाद के महीनों में पौधों को लगाने और उन्‍हें विकसित करने के लिए जल स्तर स्थिर रखना पड़ता है. कटाई से कुछ समय पहले किसान खेत से पानी निकाल देते हैं. आज दुनिया की करीब 80 फीसदी चावल की फसल इसी पद्धति का उपयोग करके पैदा की जाती है. 

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मीथेन के उत्‍सर्जन में आएगी कमी 

बेयर राइस कार्बन प्रोग्राम किसानों को रोपे गए दलदली चावल की खेती से संक्रमण में मदद करके कार्बन क्रेडिट पैदा करता है. इससे बाढ़ वाले चावल के खेतों में कार्बनिक पदार्थों के डी-कंपोज से होने वाले मीथेन उत्सर्जन में खासतौर पर कमी आती है. यूरोपियन यूनियन के अनुसार, मीथेन 100 साल की अवधि में गर्मी को रोकने में कार्बन डाइऑक्साइड से 28 गुना ज्‍यादा शक्तिशाली है और 20 साल के समय-सीमा पर 84 गुना ज्‍यादा ताकतवर है. 

बेयर के क्रॉप साइंस डिपार्टमेंट के साथ जुडे़ फ्रैंक टेरहोर्स्ट की मानें तो सीधे बीज वाले चावल एक महत्वपूर्ण री-जर्नेटिव प्रैक्टिस है जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करता है. उनका कहना है कि हम इससे निकलने वाले पहले कार्बन क्रेडिट को देखकर उत्साहित हैं. लंबे समय में, ऐसी परंपराएं किसानों को ज्‍यादा उत्‍पादन करने में सक्षम बनाती हैं. 


 

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