देश के कई राज्यों में रबी फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है. ऐसे में किसान खरीफ सीजन से पहले कुछ महीने खाली पड़े खेतों में जायद सीजन में उगाई जाने वाली फसलों की खेती कर सकते हैं. साथ ही इस दौरान कई दलहनी और तिलहनी फसलों की भी बुवाई कर सकते हैं, जो धान की खेती से पहले ही तैयार हो जाती है. जायद सीजन में विशेष सब्जी फसलें भी बोई जाती हैं. इसके अलावा कई लोग मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए जायद सीजन में ढेंचा और मूंग की खेती भी करते हैं. इससे मिट्टी में नाइट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है. तो आइए जानते हैं अप्रैल के महीने में किन-किन चीजों की खेती करके बंपर कमाई कर सकते हैं.
रबी फसलों की कटाई के बाद सबसे पहले खेत में गहरी जुताई लगाएं और खेत को तैयार कर लें. जायद सीजन की फसलों को बोने से पहले मिट्टी की जांच अवश्य करवा लें. इससे सही मात्रा में खाद-उर्वरक का प्रयोग करने की सहूलियत मिल जाती है और फिजूल की खर्च भी बच सकती है. वहीं, हर सीजन के बाद मिट्टी की जांच करवाने से इसकी कमियों का भी पता लग जाता है, जिन्हें समय रहते ठीक किया जा सकता है.
यह समय साठी मक्का और बेबी कॉर्न की खेती के लिए अनुकूल है. दोनों ही फसलें 60 से 70 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. ऐसे में इन फसलों की कटाई के बाद किसान आसानी से धान की बुवाई कर सकते हैं. बता दें कि इन दिनों बेबी कॉर्न काफी चलन में है. ये मक्का कच्चा ही बिक जाता है. वहीं, होटलों में बेबी कॉर्न की सलाद, सब्जी, अचार, पकौड़े और सूप आदि काफी फेमस हैं.
ये भी पढ़ें;- महाराष्ट्र के कई गांवों में तापमान पहुंचा 40 डिग्री पर, सब्जियों उगाने वाले किसान घबराए
अप्रैल के महीने में किसान सब्जी फसलों की खेती भी कर सकते हैं. यह समय लौकी, भिंडी, करेला, तोरई, बैंगन की खेती के लिए अनुकूल है. मौसम की मार से जायद सीजन की फसलों को बचाने के लिए किसान पॉलीहाउस, ग्रीनहाउस या लो टनल का इंतजाम करके भी खेती कर सकते हैं.
अप्रैल का महीना उड़द की खेती के लिए अनुकूल रहता है. हालांकि जलभराव वाले इलाकों में इसकी बुवाई करने से बचना चाहिए. उड़द की खेती के लिए प्रति एकड़ 6-8 किलो बीज का इस्तेमाल करें और इसे खेत में बोने से पहले थीरम या ट्राइकोडर्मा से उपचारित कर लें.
दलहन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में किसान अरहर की फसल भी उगा सकते हैं. जल निकासी वाली मिट्टी में कतारों में अरहर की बुवाई की जाती है. ये फसल 60 से 90 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है. आप चाहें तो अरहर की कम अवधि वाली किस्मों की बुवाई भी कर सकते हैं.
अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक यानी गेहूं की कटाई के तुरंत बाद मूंगफली की फसल बोई जा सकती है. ये फसल अगस्त-सितंबर तक पककर तैयार हो जाएगी, लेकिन जल निकासी वाले इलाकों में ही मूंगफली की बुवाई करनी चाहिए. बेहतर उत्पादन के लिए हल्की दोमट मिट्टी में बीज उपचार के बाद ही मूंगफली के दानों की बिजाई करें.
खरीफ सीजन की धान-मक्का बोने से पहले किसान ढेंचा यानी हरी खाद की फसल ले सकते हैं. इससे खाद-उर्वरकों पर खर्च होने वाला पैसा आसानी से बच जाएगा. ढेंचा की फसल 45 दिन के अंदर करीब 5 से 6 सिंचाईयों में तैयार हो जाती है. इसके बाद धान की खेती करने पर उपज की क्वालिटी और पैदावार अच्छी मिलती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today