Onion Price: प्याज उत्पादन ने उड़ाई सरकार की नींद, क‍िसानों के गुस्से से आसमान पर पहुंच सकता है दाम

Onion Price: प्याज उत्पादन ने उड़ाई सरकार की नींद, क‍िसानों के गुस्से से आसमान पर पहुंच सकता है दाम

क‍िसान लंबे समय से प्याज के अच्छे दाम के ल‍िए संघर्ष कर रहे हैं. लेक‍िन, चुनावी चक्कर में उपभोक्ताओं को खुश रखने के ल‍िए सरकार उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रही है. कोई न कोई प्रत‍िबंध लगाकर वो दाम बढ़ने नहीं दे रही. ज‍िससे क‍िसान हताश और न‍िराश हैं. इसल‍िए वो अब सरकार को जवाब देने के ल‍िए खेती कम कर रहे हैं. 

क्यों घटी प्याज की खेती? क्यों घटी प्याज की खेती?
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jan 29, 2024,
  • Updated Jan 29, 2024, 1:57 PM IST

एक्सपोर्ट बैन के बाद प्याज क‍िसानों और सरकार के बीच चल रही तनातनी के बीच एक और टेंशन बढ़ाने वाली खबर आई है. प्याज उत्पादन के तीसरे अग्र‍िम अनुमान ने सरकार की नींद उड़ा दी है. इसके आंकड़े बता रहे हैं क‍ि आने वाले द‍िनों में प्याज का संकट और बढ़ जाएगा, ज‍िससे दाम आसमान पर पहुंच सकते हैं. सरकार ने प्याज के दाम को काबू में रखने के सारे पैंतरे अपना ल‍िए हैं, लेक‍िन इसके रकबा और उत्पादन के जो नए आंकड़े आए हैं उसके बाद क्या होगा? क्या एक्सपोर्ट बैन लंबे समय तक कायम रहेगा या फ‍िर स्टॉक ल‍िम‍िट लगेगी या प्याज का आयात होगा. आख‍िर सरकार अब क्या करेगी. दरअसल, प्याज की खेती का एर‍िया और उत्पादन दोनों काफी घट गया है. ज‍िससे उपभोक्ताओं के ल‍िए संकट बढ़ेगा.

क‍िसान लंबे समय से प्याज के अच्छे दाम के ल‍िए संघर्ष कर रहे हैं. लेक‍िन उन्हें दाम नहीं म‍िल रहा है. उल्टे चुनावी चक्कर में उपभोक्ताओं को खुश रखने के ल‍िए सरकार क‍िसानों पर प्रत‍िबंध पर प्रत‍िबंध लगाए जा रही है. ऐसे में दाम बढ़ने ही नहीं पा रहा. ज‍िससे क‍िसान हताश और न‍िराश हैं. इसल‍िए वो अब सरकार को जवाब देने के ल‍िए खेती कम कर रहे हैं. साल 2022-23 के तीसरे अग्र‍िम अनुमान के अनुसार एक ही साल में 2 लाख 1 हजार हेक्टेयर एर‍िया घट गया है. जबक‍ि उत्पादन में र‍िकॉर्ड 15 लाख टन की ग‍िरावट आई है. सूत्रों का कहना है क‍ि अब सरकार प्याज उत्पादन के नए क्षेत्र तलाशने में जुटी हुई है.

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क‍ितनी कम हुई खेती  

साल 2021-22 के दौरान देश भर में 19,41,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी, जो 2022-23 के तीसरे अग्र‍िम अनुमान में घटकर स‍िर्फ 17,40,000 हेक्टेयर रह गई है. यानी एक ही साल में प्याज की खेती का रकबा र‍िकॉर्ड 2 लाख 1,000 हेक्टेयर कम हो गया है. क‍िसानों का कहना है क‍ि दाम की कमी की वजह से वो खेती कम कर रहे हैं. दाम ही नहीं म‍िलेगा तो फ‍िर कौन प्याज की खेती बढ़ाएगा. कब तक घाटा सहते रहेंगे और लोन लेकर मरते रहेंगे?  

क‍ितना कम हुआ उत्पादन

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय के अनुसार साल 2021-22 के दौरान देश भर में 3,16,87,000 मीट्र‍िक टन प्याज का उत्पादन हुआ था. जबक‍ि 2022-23 के तीसरे अग्र‍िम अनुमान में इसका उत्पादन स‍िर्फ 3,01,88,000 मीट्र‍िक टन रह गया है. यानी एक ही साल में उत्पादन 14,99,000 मीट्र‍िक टन घट गया है. उत्पादन में यह कमी सरकार के बफर स्टॉक से डबल है. क‍िसानों का कहना है क‍ि अगर सरकार अपने फैसलों से उन्हें ऐसे ही दबाती रही तो अगले साल प्याज की खेती और कम हो जाएगी. 

क‍िसानों के साथ दोहरा रवैया क्यों?

देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक प्रदेश महाराष्ट्र में प्याज की खेती बहुत तेजी से घट रही है, जबक‍ि सरकार उत्पादन के नए क्षेत्र अब तक तलाश नहीं पाई है. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत द‍िघोले का कहना है क‍ि जब दाम घट जाता है तब सरकार उसे बढ़ाती नहीं. लेक‍िन जब दाम बढ़ता है तब सरकार उसे घटाने में जुट जाती है. क‍िसानों के ल‍िए यह दोहरा रवैया क्यों है? जबक‍ि सरकार को सब पता है क‍ि उत्पादन लागत क‍ितनी है. नेशनल हॉर्टिकल्चरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन के अनुसार 2014 के खरीफ सीजन के दौरान ही महाराष्ट्र में प्याज की उत्पादन लागत 724 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल थी. यह एक दशक में दो गुना से अध‍िक हो चुकी है.

दाम नहीं म‍िलेगा तो महंगा होगा प्याज

द‍िघोले का कहना है क‍ि हमारी कोई मजबूरी नहीं है क‍ि हम प्याज की ही खेती करें. क‍िसान कम दाम से इतने परेशान हो चुके हैं क‍ि वो प्याज की बजाय गेहूं, सोयाबीन और कपास की खेती पर श‍िफ्ट हो रहे हैं. अगर महाराष्ट्र जैसे राज्य में प्याज की खेती कम हो गई तो आने वाले द‍िनों में लोगों को 200 रुपये क‍िलो प्याज खरीदना पड़ सकता है. हम प्याज के आयातक देश बन जाएंगे. इसल‍िए अच्छा यही होगा क‍ि क‍िसानों को लागत से अध‍िक दाम म‍िले. दाम को लेकर क‍िसानों को इतना न दबाया जाए क‍ि वो इसकी खेती छोड़कर दूसरी फसलों पर श‍िफ्ट हो जाएं.  

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