खरीफ फसलों को सफेद लट कीट से कैसे बचाएं? दवा छिड़काव की ये रही डिटेल्स

खरीफ फसलों को सफेद लट कीट से कैसे बचाएं? दवा छिड़काव की ये रही डिटेल्स

खरीफ सीजन की अधिकांश फसलों में रोगों और कीटों का बहुत अटैक होता है. सफेद लट का प्रकोप इनमें से एक है. इसके कीट की प्रौढ़ अवस्था (बीटल) और लट अवस्था दोनों ही नुकसान करती है. फसलों में छोटे लट से नुकसान होता है, जबकि पेड़-पौधों में प्रौढ़ कीट द्वारा नुकसान होता है.

जानिए कैसे सफ़ेद लट कीट से फसल को बचा सकते है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 18, 2024,
  • Updated Apr 18, 2024, 6:58 PM IST

किसानों के लिए खरीफ सीजन की फसलें बहुत महत्वपूर्ण हैं लेकिन खरीफ सीजन की अधिकांश फसलों में रोगों और कीटों का बहुत अटैक होता है. सफेद लट का प्रकोप इनमें से एक है. इसके कीट की प्रौढ़ अवस्था (बीटल) और लट अवस्था दोनों ही नुकसान करती हैं. फसलों में लट द्वारा नुकसान होता है, जबकि पेड़-पौधों में प्रौढ़ कीट द्वारा नुकसान होता है. इसलिए दोनों की रोकथाम जरूरी है. ऐसे में किसान सफेद लट की सही पहचान के बाद रोकथाम करें ताकि अधिक और गुणवत्ता वाली पैदावार ले सकें. सबसे ज्यादा मूंगफली की फसल में सफेद लट लगते हैं. इसकी रोकथाम के लिए क्लोथियानिडिन 50 डब्ल्यू.डी. जी 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज (गुली) की दर से पानी में घोल कर बीज का उपचार करें.

हलकी बलुई मिट्टी में होलोट्राइकिया नामक कीट की सफ़ेद लटें खरीफ की फसलों जैसे- मूंगफली, मूंग, मोठ, बाजरा, सब्जियों इत्यादि पौधों की जड़ों को काटकर हानि पहुंचाती हैं. ये कीट नीम, बबूल, खेजड़ी, कीकर, बेर, करोंदा और अमरूद के पत्तों को खाकर भी मुख्य तौर पर नुकसान करते हैं. 

ये भी पढ़ें:  Onion Export Ban: जारी रहेगा प्याज एक्सपोर्ट बैन, लोकसभा चुनाव के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को दिया बड़ा झटका

मूंगफली में कॉलर रोट का नियंत्रण

इनसे बचाव न करने पर किसानों को बड़ा नुकसान होता है. इसको लेकर के समय-समय पूसा और दूसरे संस्थान किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करते हैं. उसका भी ध्यान रखने की जरूरत है. बहरहाल, मूंगफली में कॉलर रोट नियंत्रण के लिए विटावेक्स 200 डब्ल्यूपी 4 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें.

सफेद लट नियंत्रण कैसे होगा

1. गर्मियों (मई-जून) में खेत की गहरी जुताई करें. इससे खेत में निष्क्रिय अवस्था में छुपे पड़े प्रौढ़ ऊपरी सतह पर आ जाएंगे और तेज धूप, प्राकृतिक शत्रुओं द्वारा नष्ट कर दिए जाएंगे.

2. भूमि उपचार- 1 किलो ग्राम मेटाराइजियम एनिसोपली को 100 किलो ग्राम खाद में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से अंतिम जुताई के समय मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें.

3. बीजोपचार- मूंगफली में 3 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8SL (इसोगाशी) प्रति कि.ग्रा बीज से उपचारित करें.

4. गन्ने में दीमक और सफेद लट के नियंत्रण के लिए शिरासागी (फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG) का 180 से 200 ग्राम प्रति एकड़ 400 से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर बीजों को कुंडों में बिछाकर उसके ऊपर स्प्रे करें.

5. अगेती बोई गई खड़ी फसल में उपचार- खड़ी फसल में सफ़ेद लट नियंत्रण के लिए 120 मिली इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. या प्रति एकड़ की दर से 80-100 कि.ग्रा. मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरककर हल्की सिंचाई करें.

ये भी पढ़ें: नास‍िक की क‍िसान ललिता अपने बच्चों को इस वजह से खेती-क‍िसानी से रखना चाहती हैं दूर

MORE NEWS

Read more!