मूंगफली एक प्रमुख तिलहन फसल है. जिसकी किसानों को बहुत अच्छी कीमत मिलती है. इसकी तीन तरह की प्रजातियां होती हैं. हल्की मिट्टी के लिए फैलने वाली और भारी मिट्टी के लिए झुमका किस्म के पौधों वाली किस्में हैं, जो जमीन की प्रकृति के अनुसार काम में ली जाती हैं. कम फैलने वाली या फैलने वाली किस्म के पौधों की शाखाएं फैल जाती हैं तथा मूंगफली दूर-दूर लगती हैं. जबकि झुमका प्रजाति की फलियां मुख्य जड़ के पास लगती हैं और इनका दाना गुलाबी या लाल रंग का होता है. इसकी पैदावार फैलने वाली किस्म से कम होती है, लेकिन ये जल्दी पकती है.
मूंगफल में तेल 45 से 55 प्रतिशत, प्रोटीन 28 से 30 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेड 21-25 प्रतिशत, विटामिन बी समूह, विटामिन-सी, कैल्शियम, मैग्नेशियम, जिंक फॉस्फोरस, पोटाश जैसे मानव शरीर को स्वस्थ रखने वाले खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. यानी यह किसानों और खाने वालों दोनों के लिए फायदेमंद है. लेकिन अगर किसान अच्छी तरह से खेती करें तब ऐसा संभव है. किसान इसकी सही तरीके से खेती कैसे करें, कृषि वैज्ञानिकों ने इसकी विस्तार से जानकारी दी है.
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झुमका किस्म हेवी सॉइल (भारी मिट्टी) के लिए उपयोगी मानी जाती है. दूसरी अर्द्ध विकसित और विकसित किस्में लाइट सॉइल के लिए उपयुक्त रहती है. झुमका में उन्नत किस्म टी जी-37-ए, अर्द्ध विस्तारी किस्म में आरजी599-3 और आरजी 425 को अच्छा माना गया है. विस्तारी किस्म में आरजी 510 अच्छी है.
मूंगफली की खेती विभिन्न प्रकार की मृदाओं में की जा सकती है फिर भी इसकी अच्छी तैयारी हेतु जल निकास वाली कैल्शियम एवं जैव पदार्थो से युक्त बलुई दोमट मृदा उत्तम होती है. मृदा का पीएच मान 6.0 से 8.0 उपयुक्त रहता है. मई के महीने में खेत की एक जुताई मिट्टी पलटनें वाले हल से करके 2-3 बार हैरो चलावें जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जावें. इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल करें जिससे नमी संचित रहें. खेत की आखिरी तैयारी के समय 2.5 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से जिप्सम का उपयोग करना चाहिए.
मिट्टी परीक्षण के आधार पर की गयी सिफारिशों के अनुसार ही खाद एवं उर्वरकों की मात्रा सुनिश्चित की जानी चाहिए. मूंगफली की अच्छी फसल के लिये 5 टन अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद प्रति हैक्टर की दर से खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए. उर्वरक के रूप में 20:60:20 कि.ग्रा./है. नत्रजन, फॉस्फोरस व पोटाश का प्रयोग आधार खाद के रूप में करना चाहिए. मूंगफली में गंधक का विशेष महत्व है अतः गंधक पूर्ति का सस्ता स्त्रोत जिप्सम है. जिप्सम की 250 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हैक्टर की दर से प्रयोग बुवाई से पूर्व आखरी तैयारी के समय प्रयोग करें.
मूंगफली की गुच्छेदार प्रजातियों का 100 कि.ग्रा. एवं फैलने व अर्द्ध फैलने वाली प्रजातियों का 80 कि.ग्रा. बीज (दाने) प्रति हैक्टर प्रयोग उत्तम पाया गया है.
मूंगफली की बुवाई जून के द्वितीय सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह में की जाती है. झुमका किस्म के लिए कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 10 से.मी. रखना चाहिए. विस्तार और अर्धविस्तारी किस्मों के लिए कतार से कतार की दूरी 45 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 15 सें.मी. रखना चाहिए. बीज की गहराई 3 से 5 से.मी. रखनी चाहिए. मूंगफली फसल की बोनी को रेज्ड/ब्रोड-बेड पद्धति से किया जाना लाभप्रद रहता है. बीज की बुवाई ब्रोड बेंड पद्धति से करने पर उपज का अच्छा प्रभाव पड़ता है.
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