पंजाब में धान की बंपर फसल फिर भी किसान और मिल मालिक परेशान, जानें क्‍या है वजह 

पंजाब में धान की बंपर फसल फिर भी किसान और मिल मालिक परेशान, जानें क्‍या है वजह 

पंजाब में धान की बंपर पैदावार इस बार किसानों और मिल मालिकों के लिए सिरदर्द बन गई है. आमतौर पर धान की अच्‍छी फसल पंजाब जैसे राज्‍य के किसानों के लिए खुशी की खबर होती है लेकिन इस बार अच्‍छी फसल के बाद भी किसानों का उत्‍साह कम है. बताया जा रहा है कि राज्य में अगली धान की फसल को स्टोर करने के लिए जगह की कमी के चलते किसान परेशान हैं.

पंजाब में धान की बंपर खेती फिर भी क्‍यों परेशान हैं किसान   पंजाब में धान की बंपर खेती फिर भी क्‍यों परेशान हैं किसान
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 12, 2024,
  • Updated Aug 12, 2024, 11:46 AM IST

पंजाब में धान की बंपर पैदावार इस बार किसानों और मिल मालिकों के लिए सिरदर्द बन गई है. आमतौर पर धान की अच्‍छी फसल पंजाब जैसे राज्‍य के किसानों के लिए खुशी की खबर होती है लेकिन इस बार अच्‍छी फसल के बाद भी किसानों का उत्‍साह कम है. बताया जा रहा है कि राज्य में अगली धान की फसल को स्टोर करने के लिए जगह की कमी के चलते किसान परेशान हैं. पंजाब में मुख्‍यत: बासमती चावल की खेती होती है और यहां से भारी मात्रा में इस निर्यात भी किया जाता है. 

मिल मालिकों ने दी धमकी 

अखबार ट्रिब्‍यून इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार राज्‍य में चापल मिल मालिकों ने धमकी दी है कि वह सरकार की तरफ से धान की फसल को स्‍वीकार नहीं करेंगे. उनका कहना है कि धान का सीजन अक्‍टूबर से शुरू होता है.  मिल मालिकों का कहना है कि साल 2023 के खरीफ खरीद सीजन में उन्‍हें जो धान मिला था, उसकी मिलिंग हो चुकी है. साथ ही करीब छह लाख टन फसल अभी भी उनकी यूनिट्स में पड़ी है. यूं तो इसे 31 मार्च तक उठा लिया जाना चाहिए था. लेकिन करीब 40 दिन बाद, सीजन को 30 जून तक बढ़ा दिया गया था. मिल मालिकों के अनुसार मिल से चावल को सरकारी गोदामों में ले जाया जाएगा, इसके कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं और गोदाम पूरी तरह से भरे हुए हैं. 

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मिल मालिकों को हो रहा नुकसान 

अखबार ने फिरोजपुर के एक राइस मिल मालिक के हवाले से लिखा है, 'हमें डिस्‍ट्रीब्‍यूट की जाने वाली फसल की मात्रा के मामले में घाटा उठाना पड़ता है. चावल में नमी खत्म हो जाती है या उसमें कीड़े लग सकते हैं. साल 2023-24 में धान की मिलिंग में देरी की वजह से चावल मिल मालिकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. इकट्ठे किए हुए धान में नमी खत्म हो गई और हमें सरकार को सही मात्रा में चावल की सप्‍लाई करने के लिए खुले बाजार से चावल खरीदना पड़ा है.' गौरतलब है कि मिल मालिकों को दिए जाने वाले हर 100 क्विंटल धान के लिए उन्हें यह तय करना होता है कि सरकारी एजेंसियों को 67 क्विंटल चावल डिस्‍ट्रीब्‍यूट किया जाए.  

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इसी तरह से जालंधर के एक और मिल मालिक ने कहा, 'राज्य सरकार की तरफ से प्रमोट की जाने वाली धान की एक किस्म (पीआर 126) और कुछ हाइब्रिड बीजों में धान की तुलना में चावल पलटने का अनुपात कम यानी करीब 62 प्रतिशत है. जिन लोगों ने मिलिंग के लिए ये किस्में खरीदी हैं, उन्हें भी सरकार को तय मात्रा देने के लिए खुले बाजार से चावल खरीदना पड़ा है.' 

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अधिकारियों से मिले मिल मालिक 

उनका कहना था कि इस खरीफ सीजन यानी साल 2024-25 के लिए इन किस्मों को फिर से बड़े पैमाने पर प्रमोट किया जा रहा है. इसलिए उन्हें इस बार भी नुकसान की आशंका है. उनका कहना था कि उन्‍होंने इस बारे में राज्‍य के फूड एंड सप्‍लाई डिपार्टमेंट के सीनियर ऑफिसर्स के साथ लुधियाना और जालंधर के मिल मालिकों ने मीटिंग की है. इस मीटिंग में मिल मालिकों की तरफ से उन्‍हें अपनी चिंताओं के बारे में बताया गया है. मिल मालिकों ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि इस साल उनके लिए धान की मिलिंग संभव नहीं है. 

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पंजाब के धान के खरीदार कम?

अधिकारियों की तरफ से उन्‍हें जगह की कमी को हल करने का भरोसा दिया गया है. फूड एंड सप्‍लाई डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी विकास गर्ग के हवाले से अखबार ने लिखा है कि राज्य सरकार अक्टूबर में होने वाली बंपर धान की फसल के स्‍टोरेज के लिए जगह की कमी के मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र के संपर्क में है. उन्होंने कहा वो जल्द ही पंजाब से चावल का स्टॉक बाहर ले जाएंगे. सूत्रों का कहना है कि चावल की खपत करने वाले राज्य खुद धान उगा रहे हैं और उसमें आत्मनिर्भर बन रहे हैं, इसलिए पंजाब के धान के खरीदार कम हैं. 
 

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