हरियाणा के चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय (HAU) ने सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुआई के लिए सरसों की एक उन्नत किस्म (RH 1975) विकसित की है, जो मौजूदा किस्म (RH 749) की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत अधिक उपज देगी. हाल ही में जम्मू में आयोजित 30 वीं वार्षिक सरसों कार्यशाला में HAU के कुलपति प्रोफेसर बीआर कंबोज ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (फसल) डॉ. टीआर शर्मा की अध्यक्षता में गठित फसल किस्म पहचान समिति ने 'आरएच-1975' विकसित की है.
कंबोज ने कहा कि सरसों की इस उन्नत किस्म की पैदावार 11-12 क्विंटल प्रति एकड़ और औसत उपज क्षमता 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ है. वहीं इसमें लगभग 39.5 प्रतिशत तेल की मात्रा है, जिसके कारण यह किस्म किसानों के बीच अन्य किस्मों की तुलना में अधिक लोकप्रिय होगी. उन्होंने कहा कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और तिलहन उत्पादन में बढ़ोतरी होगी.
कुलपति बीआर कंबोज ने कहा कि पंजाब, दिल्ली, जम्मू, उत्तरी राजस्थान और हरियाणा के सिंचित क्षेत्रों में बुआई के लिए 'आरएच 1975' किस्म की पहचान की गई है. इसलिए इस किस्म का लाभ इन राज्यों के किसानों को मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगले वर्ष तक इस किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध करा दिए जाएंगे.
कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सरसों केंद्र की देश के सबसे अच्छे अनुसंधान केंद्रों में गिनती होती है. ऊपर बताई गई किस्मों से पहले वर्ष 2018 में विकसित की गई सरसों की किस्म आर.एच. 725 मौजूदा समय में किसानों के बीच सबसे अधिक प्रचलित और लोकप्रिय किस्म बन चुकी है. यह किस्म हरियाणा के अलावा यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश में लगभग 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्रों में अकेली उगाई जाने वाली वैरायटी है. यह किस्म औसत 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार आराम से दे रही है.
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वहीं इस नई किस्म से उम्मीद जताई जा रही है कि यह वैरायटी भी कई राज्यों के किसानों के लिए काफी फायदेमंद होगी. ये किस्म भी सरसों की उत्पादकता बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी.
इस किस्म को विकसित करने में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिकों डॉ. राम अवतार, डॉ. विनोद गोयल, डॉ. राकेश पूनिया, डॉ. राजवीर सिंह, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. महावीर सिंह और डॉ. निशा कुमारी शामिल हैं. इस टीम को जम्मू में आयोजित कार्यशाला में सरसों के अनुसंधान क्षेत्र में बेहद अच्छे काम के लिए सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार भी मिला है. इस टीम ने पिछले साल सरसों की दो किस्में RH 1424 और RH 1706 बनाई थीं.
सरसों की खेती के लिए हल्की मिट्टी अच्छी होती है. वहीं सरसों के लिए शुष्क और ठंडी जलवायु अच्छी होती है. इसलिए सरसों को ज्यादातर रबी मौसम की फसल के रूप में उगाया जाता है. सरसों की फसल के लिए 10°C से 25°C के बीच तापमान की आवश्यकता होती है.