Gehu Ki Kheti: 31 दिसंबर तक गेहूं किसान कर लें ये काम, नहीं तो होगा भारी नुकसान

Gehu Ki Kheti: 31 दिसंबर तक गेहूं किसान कर लें ये काम, नहीं तो होगा भारी नुकसान

देश के अधिकांश हिस्सों में गेहूं की बुवाई अब संपन्न हो गई है. लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी बुवाई बाकी है. ऐसे में जिन किसानों ने अभी तक बुआई नहीं की है, उन्हें भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने 31 दिसंबर तक के लिए सलाह दी है. आइए जानते हैं.

गेहूं की खेती के लिए एडवाइजरीगेहूं की खेती के लिए एडवाइजरी
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Dec 21, 2025,
  • Updated Dec 21, 2025, 10:30 AM IST

देश के अधिकांश हिस्सों में गेहूं की बुवाई अब पूरी हो गई है. लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी बुआई होना बाकी है. ऐसे में जिन किसानों ने अभी तक बुआई नहीं की है, उन्हें भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने सलाह दी है कि वे अच्छी पैदावार के लिए पछेती खेती के लिए उन्नत किस्में ही चुनें. साथ ही यह भी सलाह दी गई है कि वे जलवायु अनुकूल किस्मों का चयन करें, और बीज हमेशा भरोसेमंद दुकान से ही खरीदें. इसके अलावा अनुसंधान संस्थान ने ये भी सलाह दी है कि जिन किसानों ने पहले खेती की है वो सिंचाई और खाद का ध्यान रखें. बता दें कि ये सलाह 16 दिसंबर से 31 दिसंबर तक के लिए दी गई है.

पछेती बुवाई के लिए ये हैं किस्में

जिन किसानों ने अभी तक गेहूं खेती नहीं कि है वो पीबीडब्ल्यू 752, पीबीडब्ल्यू 771, डीबीडब्ल्यू 173, जेकेडब्ल्यू 261, एचडी 3059, डब्ल्यूएच 1021, डीबीडब्ल्यू 316, पीबीडब्ल्यू 833, डीबीडब्ल्यू 107, एचडी 3118, जेकेडब्ल्यू 261, पीबीडब्ल्यू 752, एचडी 3407, एचआई 1634, सीजी 1029, एमपी 3336 इन किस्मों की खेती 25 दिसंबर तक कर सकते हैं. 

इन सुझावों का भी रखें ध्यान

  • अपने क्षेत्र की देर से बुआई के लिए उपयुक्त और रोग-प्रतिरोधी किस्म ही चुनें. अन्य क्षेत्रों की किस्में लगाने से रोग का जोखिम बढ़ता है.
  • नाइट्रोजन की पूरी मात्रा बुवाई के 40-45 दिन के भीतर पूरी कर लें और यूरिया हमेशा सिंचाई से ठीक पहले दें, ताकि इसकी दक्षता बढ़े.
  • इनपुट (उर्वरक, सिंचाई, कीटनाशक/शाकनाशी) का संतुलित उपयोग करें और सिंचाई सोच-समझकर करें, जिससे पानी की बचत के साथ अधिकतम उत्पादन मिल सके.
  • फसल में पीलापन दिखाई देने पर अतिरिक्त यूरिया न डालें, कोहरे या लगातार बादल वाली परिस्थितियों में भी नाइट्रोजन का प्रयोग टालें क्योंकि इससे नुकसान का जोखिम बढ़ता है.
  • सिंचाई से पहले मौसम पूर्वानुमान अवश्य देखें और बारिश की संभावना होने पर सिंचाई न करें.
  • फसल में रतुआ रोग की नियमित निगरानी करें और लक्षण दिखने पर नज़दीकी अनुसंधान संस्थान, राज्य कृषि विश्वविद्यालय या कृषि विज्ञान केंद्र से तत्काल सलाह लें.
  • पिछली फसल के अवशेषों को न जलाएं, इन्हें मिट्टी में मिला दें. यदि सतह पर अवशेष मौजूद हों, तो गेहूं की बुवाई के लिए हैप्पी सीडर/सुपर सीडर/स्मार्ट सीडर का उपयोग करें, जिससे बुआई में देरी नहीं होगी और मिट्टी की कार्बन मात्रा भी बढ़ेगी.
  • गेहूं की फसल में यूरिया की टॉप-ड्रेसिंग हमेशा सिंचाई से ठीक पहले करें, ताकि पौधों द्वारा पोषक तत्वों का उपयोग अधिकतम हो सके.

सिंचाई और पोषक तत्वों का प्रयोग

  • किसानों को बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई करने की सलाह दी गई है.
  • नाइट्रोजन की खुराक बुवाई के 40-45 दिन बाद तक पूरी कर लेनी लें. वहीं, सिंचाई से ठीक पहले यूरिया डालें.
  • कुछ क्षेत्रों में गेहूं की फसल में पीलापन एक समस्या है, जो अत्यधिक सिंचाई, अवशेषों को मिट्टी में मिलाने से पोषक तत्वों के निष्क्रिय होने, नाइट्रोजन (निचली पतियों), सल्फर (नई पत्तियों), मैग्नीशियम (पुरानी पत्तियों में शिराओं के बीच क्लोरोसिस) की कमी या धुंध भरे मौसम के कारण हो सकती है.
  • यदि पाला पड़ता है, तो हल्की सिंचाई की जा सकती है.
  • मैग्नीशियम की कमी के लिए 35-40 दिन बाद 0.5% मैग्नीशियम सल्फेट को 3% यूरिया के साथ मिलाकर छिड़काव करें.
  • सल्फर की कमी के लिए सिंचाई से पहले 3 किलो सल्फर उर्वरक डालें.

किसान ऐसे करें गेहूं की खेती

गेहूं की खेती के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से जोतकर तैयार करें. फिर बीज उपचार करके बुवाई करें. बीज उपचार करने के लिए बीज को कार्बेंडाजिम 50% W जैसे किसी रसायन से उपचारित करें. समय पर बुवाई के लिए 40 किलो प्रति एकड़ बीज की जरूरत होती है. वहीं, बुवाई की बात करें तो लाइन से लाइन की दूरी 22-25 सेमी रखें. 

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