Frost Warning: दिसंबर-जनवरी में पाले का अलर्ट! एक छोटी सी चूक और बर्बाद हो सकती है पूरी फसल

Frost Warning: दिसंबर-जनवरी में पाले का अलर्ट! एक छोटी सी चूक और बर्बाद हो सकती है पूरी फसल

उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के साथ अब पाले का खतरा बढ़ गया है. जब रात का तापमान 0 डिग्री सेंटीग्रेट के करीब पहुंचता है, तो ओस की बूंदें बर्फ बन जाती हैं. यह जमा हुआ पानी पौधों की कोशिकाओं को फाड़ देता है, जिससे पत्तियां और फूल झुलस जाते हैं. इससे न केवल दाने छोटे रह जाते हैं, बल्कि पूरी फसल भी बर्बाद हो सकती है. विशेषकर आलू, टमाटर, मटर, सरसों और पपीते पर पाले का सीधा अटैक होता है. यहां तक कि गेहूं और गन्ना भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.

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दिसंबर-जनवरी में पाले का अलर्ट! एक छोटी सी चूक और बर्बाद हो सकती है पूरी फसलपाले से फसलें बचाने की अहम टिप्स

उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के साथ अब फसलों पर पाले का काला साया मंडराने लगा है. जब रात का पारा शून्य डिग्री के नीचे गिरता है, तो ओस की बूंदें बर्फ की घातक परतों में बदल जाती हैं. यह जमा हुआ पानी पौधों की नसों और कोशिकाओं को अंदर से फाड़ देता है, जिससे लहलहाती फसलें रातों-रात काली पड़कर झुलस जाती हैं. विशेषकर आलू, टमाटर, सरसों और मटर जैसी संवेदनशील फसलों के लिए यह पाला किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं है. पाले के कारण फूल समय से पहले गिर जाते हैं, दानों का विकास रुक जाता है और पौधों की वृद्धि पूरी तरह ठप हो जाती है. अगर ठंड की यही स्थिति बनी रही, तो गेहूं और गन्ने जैसी मजबूत फसलों की सेहत और पैदावार पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ सकता है, जिससे किसानों की महीनों की मेहनत और पूंजी डूबने का खतरा पैदा हो जाता है.

फसलों का दुश्मन है पाला

कृषि विज्ञान केंद्र, नरकटियागंज डॉ. आर.पी. सिंह के अनुसार, जिस दिन दोपहर में धूप तो हो लेकिन शाम को हवा चलना अचानक बंद हो जाए, रात में आसमान बिल्कुल साफ हो और हवा में नमी ज्यादा हो, उस रात पाला पड़ने की सबसे ज्यादा संभावना होती है. ऐसी रातों में तापमान तेजी से गिरता है और जलवाष्प सीधे बर्फ के छोटे कणों में बदल जाती है. जब पाला पड़ता है, तो पौधों की कोशिकाओं (Cells) के अंदर का पानी जम जाता है. इससे कोशिकाएं फट जाती हैं और पौधा अंदर से डैमेज हो जाता है. इसका असर यह होता है कि पत्तियां और फूल मुरझा जाते हैं, दाने छोटे रह जाते हैं और पूरी फसल काली पड़ सकती है. सबसे ज्यादा खतरा आलू, टमाटर, मटर, सरसों और पपीता जैसी फसलों को होता है, लेकिन ज्यादा ठंड में गेहूं और गन्ना भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.

बर्फीली मार से बचाना जरूरी

फसल को पाले से बचने का सबसे पुराना और कारगर तरीका है खेत की मेड़ों पर घास-फूस जलाकर धुआं करना. धुआं करने से खेत के ऊपर एक सुरक्षा कवच बन जाता है जो गर्मी को बाहर नहीं जाने देता. इसके अलावा, खेत में हल्की सिंचाई करना भी बहुत फायदेमंद है. गीली जमीन का तापमान सूखी जमीन से ज्यादा होता है, जिससे मिट्टी में गर्माहट बनी रहती है और पाले का असर कम हो जाता है.अगर आप सुबह के समय खेत में जा सकते हैं, तो दो लोग मिलकर एक लंबी रस्सी को फसल के ऊपर से फेरें जैसे रस्सी से फसल हिलाना. इससे पत्तों पर जमी ओस गिर जाती है और बर्फ नहीं जम पाती. छोटे पौधों या नर्सरी को बचाने के लिए उन्हें प्लास्टिक या घास-फूस से ढक देना चाहिए. बस ध्यान रहे कि दक्षिण-पूर्व दिशा खुली हो ताकि सुबह की धूप पौधों को मिल सके.

कड़ाके की ठंड में ऐसे रखें ध्यान

वैज्ञानिक तरीके से बचाव के लिए आप कुछ खास चीजों का स्प्रे कर सकते हैं. 15 लीटर पानी में 40 ग्राम घुलनशील सल्फर या 25 ग्राम ग्लूकोज घोलकर छिड़काव करने से पौधों को मजबूती मिलती है. इसके अलावा, 20 ग्राम यूरिया प्रति लीटर पानी में घोलकर स्प्रे करने से भी पाले का असर कम होता है. 'थायो यूरिया' या 'म्यूरेट ऑफ पोटाश' का उपयोग भी फसल की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. फसलों को हर साल पाले से बचाने के लिए खेत की उत्तर-पश्चिम दिशा में वायुरोधक पेड़ जैसे शीशम, बबूल या आम लगाने चाहिए. ये पेड़ ठंडी हवाओं की सीधी मार को रोकते हैं. खेती में सही मैनेजमेंट और समय पर उठाए गए कदम ही आपकी फसल को भारी नुकसान से बचा सकते हैं. याद रखें, थोड़ी सी जागरूकता आपके पूरे सीजन की मेहनत और मुनाफे को सुरक्षित रख सकती है.

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