Potato: सबसे अधिक पैदावार देती हैं आलू की ये पांच किस्में, ये रही पूरी डिटेल्स

Potato: सबसे अधिक पैदावार देती हैं आलू की ये पांच किस्में, ये रही पूरी डिटेल्स

भारत में चावल, गेहूं और गन्ने  के बाद आलू की ही खेती सबसे अधिक की जाती है. आलू को सब्जियों का राजा भी कहा जाता है. अगर आप भी इसकी उन्नत किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो इस खबर में है पांच किस्मों की पूरी डिटेल्स.

सबसे अधिक पैदावार देती हैं आलू की ये पांच किस्मेंसबसे अधिक पैदावार देती हैं आलू की ये पांच किस्में
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Jul 29, 2023,
  • Updated Jul 29, 2023, 2:23 PM IST

भारत में चावल, गेहूं और गन्ने  के बाद आलू की ही खेती सबसे अधिक की जाती है. आलू में 80 से 82 प्रतिशत तक पानी और 14 प्रतिशत स्टार्च पाया जाता है. ये एक ऐसी सब्जी है जिसे कितने भी दिनों तक स्टोर करके रखा जा सकता है. वहीं आलू के कई व्यंजन बनाए जा सकते हैं. शायद इसलिए इसे सब्जियों का राजा भी कहा जाता है. दरअसल आलू के पराठे से लेकर चिप्स और कई तरह की सब्ज़ियां बनाई जाती हैं जो हर किसी को पसंद आती है. आज हम आपको आलू की पांच उन्नत किस्मों के बारे बताने जा रहे हैं.

जिसकी खेती करके किसान आलू की खेती शुरू कर सकते हैं. लेकिन अधिकतर किसान पारंपरिक बीजों से ही आलू की खेती करते हैं. वो किसान अब  अच्छी उपज के लिए अच्छी वैरायटी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आइए जानते हैं कौन से हैं आलू की वो पांच वैरायटी.

इन पांच किस्मों की करें खेती

अगर आप आलू की खेती करना चाहते हैं तो आप आलू की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इस उन्नत किस्मों में शामिल हैं. कुफरी पुखराज किस्म, कुफरी सिंदूरी किस्म, कुफरी चिप्सोना, कुफरी अलंकार और कुफरी नीलकंठ किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

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कुफरी पुखराज किस्म: ये किस्म आलू की सबसे खास वेराइटी है जो उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में सबसे कम अवधि में तैयार होती है. उत्तर भारत में इसकी खेती सबसे अधिक होती है. खासकर इस किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ़, और उड़ीसा में किया जाता है. इस किस्म की अच्छी बात तो ये है कि यह वैरायटी बुवाई के 100 दिनों के अंदर ही तैयार हो जाती है.

कुफरी चिप्सोना किस्म: आलू का ये किस्म चिप्स बनाने के लिए काफी फेमस होता है. इस किस्म को चिप्स बनाने के लिए उपयुक्त माना जाता है. इस किस्म की खेती भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल में की जाती है. आलू के इस किस्म में किसान को  प्रति हेक्टेयर में 300 से 350 कुंटल तक की पैदावार मिलती है.

कुफरी अलंकार किस्म: यह आलू की उन्नत किस्म है जो प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल तक उपज देती है. इस किस्म के आलू की फसल 70 दिनों में ही तैयार हो जाती है. ये किस्म उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अच्छी पैदावार देती है.

कुफरी नीलकंठ किस्म: एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आलू का ये बेहतरीन किस्म है, जो ज़्यादा ठंड के मौसम को भी बर्दाश्त कर सकता है. इसकी उत्पादन क्षमता अन्य किस्मों से अधिक होती है. ये किस्म की फसल 90 से 100 दिनों तैयार हो जाती है. इसके अलावा स्वाद में भी यह आलू बहुत अच्छा होता है. वहीं उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए यह किस्म अच्छी मानी जाती है.

कुफरी सिंदूरी किस्म: कुफरी सिंदूरी भी आलू की एक उन्नत किस्म है, जो पाले को भी सहन कर सकती है. मैदानी और पहाड़ी इलाकों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. पहाड़ी इलाके के मुकाबले मैदानी इलाके में फसल जल्दी तैयार हो जाती है. यह किस्म 120 से 125 दिनों में तैयार होती है.

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