पुदीने को मिंट के नाम से भी जाना जाता है. ये एक खुशबूदार जड़ी-बूटी के रूप में जाना जाता है. इसका प्रयोग जलजीरा बनाने, चटनी बनाने और कई व्यंजन बनाने में किया जाता है. पुदीने से पीपरमेंट बनाया जाता है. इसका प्रयोग तेल, टूथ पेस्ट, माउथ वॉश आदि में किया जाता है. इसके अलावा पुदीने सूखाकर स्टोर भी किया जा सकता है जिसका प्रयोग गर्मियों में छाछ, दही आदि में डालकर प्रयोग किया जा सकता है.
इसके चलते बाज़ार में इसकी अच्छी डिमांड बनी रहती है और किसानों को अच्छा दाम भी मिलता हैं,ऐसे में किसानों के लिए पुदीने की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. यदि इसकी सही तरीके से खेती की जाए और बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन किया जाए तो इससे लाखों रुपए भी की कमाई की जा सकती है. बाजार में इसका भाव 100 से 150 रुपये पसेरी (पांच किलो) बिकता है. एक हेक्टेयर में एक किसान एक लाख रुपये से सवा लाख रुपये का मुनाफा उठा लेते हैं.
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पुदीने की खेती समशीतोष्ण जलवायु के साथ उष्ण एवं उपोषण जलवायु में भी की जा सकती है। अत्यधिक ठंड वाले महीनों को छोडक़र इसकी खेती साल भर की जा सकती है. पुदीने की खेती के लिए गहरी उपजाऊ मिट्टी जिसकी जल धारण क्षमता अच्छी हो, उसमें उगाया जाता है. इसके अलावा इसे जल जमाव वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है. इसकी खेती के लिए मिट्टी में नमी होना जरूरी है. मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 होना चाहिए.
पुदीने की उन्नत किस्मों में एमएएस-1, कोसी, कुशाल, सक्ष्म, गौमती (एच. वाई. 77), शिवालिक, हिमालय, एल-11813, संकर 77, ई.सी. 41911 आदि प्रमुख किस्में है. जो अधिकतर उगाई जाती है.
पुदीने की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली भूमी अच्छी मानी जाती है, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए. बुआई से पहले खेत की जुताई कर भूमि को समतल बना लें. अंतिम जुताई पर प्रति हेक्टेयर 10 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाएं. इसके साथ ही 50 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 45 किलो पोटाश खेत में डालें. इससे अधिक उत्पादन होगा.
पुदीना की जड़ों की रोपाई का समय 15 जनवरी से 15 फरवरी के बीच होता है. देर से बुआई करने पर तेल की मात्रा कम हो जाती है. हालांकि कुछ किस्में ऐसी भी हैं, जिन्हें आप मार्च तक रोप सकते हैं.
पहले पुदीने को खेत की एक छोटी क्यारी में लगा दें. इसकी नियमित सिंचाई करते रहें. जब जड़ थोड़ी बड़ी हो जाए तो इन्हें पहले से तैयार खेत में लगाएं. इस विधि से पुदीने की खेती करने पर अधिक उत्पादन होता है. किसानों को ज्यादा उत्पादन के लिए पुदीने की अच्छी किस्मों का चयन करना चाहिए. इससे कम समय में ज्यादा लाभ मिलता है.
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