तो मक्का के आयात को मंजूरी देगा भारत! भारत और अमेरिका के बीच बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट यानी BTA अब अपने नतीजे पर पहुंचता हुआ नजर आ रहा है. खबरों की मानें तो भारत और अमेरिका के बीच होने वाली ट्रेड डील जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंच सकती है. लेकिन इस ट्रेड एग्रीमेंट का रास्ता एक ऐसे मोड़ से होता हुआ अपनी मंजिल तक पहुंचता हुआ दिख रहा है जिसमें भारतीय किसानों को बड़े नुकसान की आशंका जताई जा रही है. कहा जा रहा है कि भारत, ट्रेड डील के तहत अमेरिका से नॉन जेनिटिकली मोडीफाइड मक्का (Non-GMO Corn) के आयात को मंजूरी दे सकता है. अब यहां पर यह बात गौर करने वाली है कि अमेरिका में 90 फीसदी से ज्यादा मक्का की फसल जीएम यानी जेनेटिकली मोडीफाइड होती है. ऐसे में इस बात के पूरे चांस हैं कि अमेरिका से आने वाला मक्का जीएम ही होगा.
अखबार मिंट की एक रिपोर्ट में तीन सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि भारत और अमेरिका लंबे समय से अटकी ट्रेड डील के करीब पहुंच रहे हैं.इस ट्रेड डील के बाद भारतीय एक्सपोर्ट पर मौजूदा टैरिफ 50 फीसदी से घटकर 15 से 16 फीसदी हो सकता है. नाम न बताने की शर्त पर बताया जा रहा है कि बातचीत में एनर्जी और एग्रीकल्चर अहम मसले हैं. सूत्रों के अनुसार भारत अमेरिका से नॉन-GM मक्का इंपोर्ट करने का कोटा बढ़ाने पर विचार कर रहा है. हालांकि इन इंपोर्ट पर ड्यूटी 15 फीसदी पर वैसी ही रहेगी. वर्तमान समय में अमेरिका से मौजूदा मक्का इंपोर्ट का कोटा सालाना 0.5 मिलियन टन है.
पोल्ट्री फीड, डेयरी इनपुट और इथेनॉल इंडस्ट्रीज की बढ़ती घरेलू डिमांड को देखते हुए मक्का और सोयामील के अमेरिकी आयात को मंजूरी मिल सकती है. एक सोर्स के हवाले से मिंट ने बताया, 'इंसानों और जानवरों, दोनों के इस्तेमाल के लिए नॉन-GM सोयामील के इंपोर्ट की इजाजत देने पर भी बातचीत आगे बढ़ रही है. हालांकि, महंगे चीज समेत डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए टैरिफ में कमी पर अभी कोई आखिरी बात साफ नहीं है, भले ही यह अमेरिकी टीम की एक अहम डिमांड है.' भारत देश पहले अपने एग्रीकल्चर सेक्टर को खोलने में हिचकिचा रहा था, क्योंकि उसे डर था कि इंपोर्ट बढ़ने से लोकल किसानों को नुकसान हो सकता है. अभी तक हालांकि इस बारे में कोई भी सरकारी प्रतिक्रिया या स्पष्टीकरण नहीं आया है.
ट्रेड डील की शुरुआत से ही अमेरिका ने इस बात की इच्छा जताई है कि भारत, उससे जीएम यानी जेनिटिकली मोडिफाइड मक्का खरीदे और भारत सरकार इससे इनकार करता आया है. अभी तक ट्रेड डील के सभी असफल राउंड्स में सबसे बड़ी बाधा यही मक्का था. अमेरिकी कृषि विभाग की आंकड़ों के अनुसार साल 2024-25 में अमेरिका में 377.63 लाख मीट्रिक टन मक्का का उत्पादन हुआ और यह दुनिया में 31 फीसदी उत्पादन के साथ नंबर वन पर रहा. अमेरिका के बाद चीन का नंबर है जहां पर 294.92 लाख टन यानी दुनिया का 24 फीसदी मक्का पैदा हुआ. फिर ब्राजील, उसके बाद यूरोपियन यूनियन, अर्जेंटीना और फिर भारत का नंबर आता है. यानी भारत इस लिस्ट में छठे नंबर पर है.
अमेरिकी वेबसाइट FDA के अनुसार अमेरिका धरती पर मक्का दुनिया का सबसे बड़ा मक्का उत्पादक है, जहां दुनिया की मक्का फसल का 30 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादन होता है. यह अमेरिका में 400,000 से ज्यादा खेतों में उगाया जाता है और अमेरिका में उगाए जाने वाले मक्के का करीब 20 फीसदी निर्यात किया जाता है. इससे 10 लाख अमेरिकियों को रोजगार मिलता है. मक्का, अमेरिका में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है, और इसका ज्यादा जीएम है. ज्यादा जीएम मक्का कीटों से बचाव या खरपतवार को सहन करने के लिए तैयार किया जाता है.
अमेरिका में जीएम मक्का की खेती का दायरा बेहद बड़ा है. देश में करीब 90 मिलियन एकड़ में मक्का उगाया जाता है. इसकी ज्यादातर खेती मध्य-पश्चिम/हार्टलैंड में होती है. खास बात है कि करीब 99 फीसदी मक्का फील्ड कॉर्न है और सिर्फ एक प्रतिशत ही स्वीट कॉर्न होता है. अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में उगाए जाने वाले कुल मक्का उत्पादन का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा जीएम वैरायटी से आता है. प्रमुख मक्का उत्पादक राज्य जैसे आयोवा, इलिनॉय, नेब्रास्का, मिनेसोटा और इंडियाना जीएम मक्का की खेती में आगे हैं. इन राज्यों में बड़े पैमाने पर मशीनरी और वैज्ञानिक तकनीकों का इस्तेमाल होता है. यह मक्का मेक्सिको, जापान, दक्षिण कोरिया, यूरोपियन देशों और अफ्रीका तक पहुंचता है. अमेरिकी जीएम मक्का वैश्विक खाद्य उद्योग, बायोफ्यूल निर्माण और पशु आहार में अहम भूमिका निभाता है.
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