
अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर 15 दिसंबर तक रबी सीजन माना जाता है. इस समय देशभर में कई तरह की फल-सब्जी, तिलहन–दलहन की खेती की जाती है, लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण फसल है-गेहूं. कई राज्यों में गेहूं मुख्य फसल है. इसी कारण किसान समय पर फसल लेने और अच्छी पैदावार पाने के लिए अगेती किस्मों की बुवाई करते हैं. अगेती गेहूं जल्दी तैयार हो जाता है और मौसम के उतार–चढ़ाव का खतरा भी कम रहता है. लेकिन बेहतर उपज पाने के लिए इसकी देखभाल सही तरह से करना जरूरी है.
अगेती गेहूं की बुवाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से लेकर नवंबर के पहले सप्ताह तक कर देनी चाहिए. इस समय तापमान और नमी दोनों अनुकूल होते हैं, जिससे पौधे मजबूत बनते हैं.
अगेती गेहूं के लिए सिंचाई का समय बहुत महत्वपूर्ण है.
इन अवस्थाओं में सिंचाई जरूर करें:
ध्यान रखें: खेत में पानी भरने न दें, खासकर शुरुआती दिनों में.
अच्छी पैदावार के लिए खाद का संतुलन बहुत जरूरी है.
इसके अलावा जिन क्षेत्रों में सल्फर और जिंक की कमी है, वहां इन सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करना बहुत फायदेमंद है. ये दाने को भरपूर और गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं.
अगर सही समय पर बुवाई की जाए, बीज उपचार किया जाए, सिंचाई–खरपतवार–खाद का संतुलन रखा जाए, तो अगेती गेहूं की पैदावार सामान्य गेहूं से काफी बेहतर मिलती है. किसान भाइयों, ऊपर बताई गई पद्धति अपनाकर आप अपनी गेहूं की फसल में अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं.
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