Gehu Ki Kheti: नवबंर के आखिरी 15 दिनों में इन बातों का ध्‍यान रखें गेहूं किसान, IIWBR ने जारी की सलाह

Gehu Ki Kheti: नवबंर के आखिरी 15 दिनों में इन बातों का ध्‍यान रखें गेहूं किसान, IIWBR ने जारी की सलाह

Gehu Ki Kheti Ke Tips: देशभर में गेहूं बुवाई तेज है और ICAR-IIWBR ने किसानों को समय पर किस्म चुनने, प्रमाणित बीज का उपयोग, पहली सिंचाई, समय पर खरपतवार नियंत्रण और क्षेत्र अनुसार उपयुक्त किस्में अपनाने की सलाह दी है. पढ़‍िए संस्‍थान की गेहूं किसानों को दी गई सलाहें...

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Gehu Ki Kheti: नवबंर के आखिरी 15 दिनों में इन बातों का ध्‍यान रखें गेहूं किसान, IIWBR ने जारी की सलाहगेहूं किसानों के लिए सलाह

देशभर में रबी सीजन की गेहूं बुवाई इस समय चरम पर है. बीते दिनों कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं की बुवाई 127 प्रत‍िशत उछाल देखा गया. इस बीच, गेहूं और जौ पर विशेष रूप से काम करने वाले संस्‍थान ICAR-भारतीय गेहूं एवं जौं अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल ने देशभर के किसानों के लिए इस पूरे पखवाड़े यानी 15 दिनों (15 नवंबर-30 नवंबर) तक के लिए गेहूं किसानों को विस्तृत सलाह जारी की है. किसान तक की ‘गेहूं ज्ञान’ सीरीज की इस खबर में जानिए IIWBR के कृषि‍ वैज्ञानिकों ने किसानों को किन बातों का ध्‍यान रखने की सलाह दी है....

IIWBR के कृषि विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि गेहूं की बुवाई में सही किस्म का चुनाव, समय पर सिंचाई और खरपतवार प्रबंधन न करने पर पैदावार पर सीधा असर पड़ सकता है.  संस्थान ने स्पष्ट कहा है कि किसान अपनी बुवाई की तारीख, सिंचाई उपलब्धता और क्षेत्रीय मौसम को ध्यान में रखते हुए ही गेहूं की किस्म चुनें. बीज हमेशा प्रमाणित और विश्वसनीय स्रोत से खरीदें. मौसम के अनुकूल किस्में गर्मी के झटकों, रोगों और उत्पादन में गिरावट के जोखिम को काफी हद तक कम करती हैं.

अक्टूबर में बुवाई करने वाले किसानों को सलाह

  • बुवाई के 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई करना बेहद जरूरी है. यानी जिन्‍होंने अक्‍टूबर के आखिरी हफ्ते में बुवाई की है, वे किसान फसल को पहला पानी दें.
  • खरपतवार नियंत्रण में ढिलाई न बरतें, वरना शुरुआती अवस्था में फसल का विकास रुक सकता है.
  • खेत की नियमित निगरानी करें, ताकि दीमक और रोगों से शुरुआती नुकसान न हो.

नवंबर के पहले सप्ताह में बुवाई करने वाले किसान

  • उत्कृष्ट अंकुरण सुनिश्चित करें
  • पौध स्थापना मजबूत रखने के लिए 20-25 दिन बाद पहली सिंचाई की योजना पहले से बनाएं
  • नवंबर मध्य तक बुवाई पूरी करने की सलाह
  • जो किसान अब बुवाई कर रहे हैं, वे 20 नवंबर तक इसे पूरा कर लें और समय पर बोई जाने वाली उच्च उत्पादकता किस्मों को प्राथमिकता दें.

भारत के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए अनुशंसित किस्में

नॉर्दर्न-प्लेन-जोन (पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी, कुछ राजस्थान)

HD 3386, PBW 826, HD 3406, DBW 222, DBW 187

ईस्टर्न-प्लेन-जोन (पूर्वी यूपी, बिहार, बंगाल, झारखंड)

DBW 386, HD 3388, DBW 187, PBW 826, HD 3411, DWL 222, HD 3249, HD 3086

सेंट्रल जोन (एमपी, गुजरात, उदयपुर-कोटा क्षेत्र)

HI 1699, NWS 2194, HI 1650, GW 513, GW 547, DBW 187, HI 1636, MACS 6768, GW 366

प्रायद्वीपीय क्षेत्र (महाराष्ट्र, कर्नाटक)

WH 1306, NSW 2222, DBW 443, AKW 5100, PBW 891, MP 1378, MACS 4100, DBW 48 (ड्यूरम), HI 8826 (ड्यूरम)

बुवाई, बीज दर और उर्वरक प्रबंधन

भारत में बारिश, मिट्टी और तापमान के अनुसार गेहूं की बुवाई का समय हर क्षेत्र में थोड़ा अलग होता है. वैज्ञानिकों ने दो प्रमुख जोन में उर्वरक और बीज दर की स्पष्ट सिफारिश की है.

NWPZ और NEPZ (सिंचित एवं समय पर बोई फसल के लिए)

उत्‍तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्र और पूर्वोत्‍तर मैदानी क्षेत्र के लिए किसानों को बीज दर, खाद का इस मात्रा में इस्‍तेमाल करने की सलाह दी गई है. 

बीज दर: 100 किग्रा/हेक्टेयर
उर्वरक: 150:60:40 किग्रा NPK/हेक्टेयर
1/3 नाइट्रोजन + पूरी फॉस्फोरस और पोटाश बेसल में
बाकी नाइट्रोजन पहली और दूसरी सिंचाई में बराबर मात्रा में

मध्‍य क्षेत्र और प्रायद्वीपीय क्षेत्र (सिंचित एवं समय पर बोई फसल के लिए)

बीज दर: 100 किग्रा/हेक्टेयर
उर्वरक: 120:60:40 किग्रा NPK/हेक्टेयर
नाइट्रोजन का एक तिहाई बुवाई के समय, बाकी दो भाग पहली दो सिंचाइयों में

खरपतवार में शुरुआती नियंत्रण सबसे प्रभावी

फलारिस माइनर जैसे प्रतिरोधी खरपतवारों पर नियंत्रण चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. विशेषज्ञों ने निम्न उपाय सुझाए हैं:

  • बुवाई के 0-3 दिन के भीतर 60 ग्राम/एकड़ पायरोक्सासल्फोन 85 WG का छिड़काव
  • पेंडिमेथालिन 30 EC (2.0 लीटर/एकड़) के साथ भी उपयोग संभव
  • एक्लोनिफेन + डाइफ्लुनिकन + पायरोक्सासल्फोन (मैटेनौ मोर) का 800 मिली/एकड़ छिड़काव
  • स्प्रे हमेशा साफ मौसम में करें
  • कठिया गेहूं में पायरोक्सासल्फोन आधारित दवा न लगाएं

सिंचाई प्रबंधन: पहली सिंचाई समय पर करना है अनिवार्य

20-25 दिन के भीतर की गई पहली सिंचाई से जड़ों का विकास मजबूत होता है और कल्ले बनना बेहतर होता है. पानी की उपलब्धता कम हो तो सिंचाई अंतराल को वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधित करें.

दीमक नियंत्रण: बीज उपचार बेहद प्रभावी

जिन क्षेत्रों में दीमक समस्या है, वहां बीज उपचार अनिवार्य बताया गया है.

  • क्लोरोपायरीफॉस: 0.9 ग्राम एआई/किग्रा बीज
  • थियामेथोक्साम 70 WS (Cruiser): 0.7 ग्राम एआई/किग्रा
  • फिप्रोनिल (Regent 5FS): 0.3 ग्राम एआई/किग्रा
  • उपरोक्त सभी की लगभग 4.5 मिली उत्पाद मात्रा प्रति किग्रा बीज प्रभावी मानी गई है.
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