महाराष्ट्र राज्य कपास विपणन महासंघ को कपास खरीदने की अनुमति मिल गई है, लेकिन भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के साथ समझौते में देरी के कारण सीसीआई के माध्यम से कपास खरीद शुरू करने में एक महीने का समय लगने की उम्मीद जताई गई है. इस बीच कपास का उचित दाम नहीं मिलने के कारण किसान इसे स्टोर कर रहे हैं. बड़ी मात्रा में कपास उनके घरों में पड़ा हुआ है. किसान राज्य विपणन संघ द्वारा क्रय केंद्र खुलने का इंतजार कर रहे हैं. विपणन महासंघ ने केंद्र सरकार से खरीदी सेंटर शुरू करने की अनुमति मांगी थी. पिछले महीने के अंत में, सीसीआई ने कॉटन ग्रोअर्स मार्केटिंग फेडरेशन को राज्य में अपने एजेंट के रूप में कपास खरीदने की अनुमति दी है.
हालांकि अभी तक सीसीआई के साथ कोई समझौता नहीं हुआ है. कपास विपणन महासंघ को कपास की खरीदी के लिए ऋण लेना पड़ता है. जिसके लिए राज्य सरकार गारंटी देती है. खरीदी के लिए आवश्यक जनशक्ति की अभी तक सभी व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं, इसलिए महासंघ खरीदी शुरू नहीं कर सका है. खरीद न होने से किसान परेशान हैं. देखना है कि खरीद कब तक शुरू हो पाती है. दूसरी ओर, विपणन महासंघ के निदेशक मंडल के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है. इस चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद इसके बाद चेयरमैन के चयन और प्रशासनिक बैठक के बीच कम से कम 15 दिन का समय लगेगा. इसकी वजह से भी देरी हो रही है.
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पिछले दो साल से सीसीआई ने विपणन महासंघ को कपास खरीदने की इजाजत नहीं दी थी. इस साल खुले बाजार में कपास की कीमत में भारी गिरावट आई है, इसलिए सरकारी खरीद का इंतजार किया जा रहा था. हालांकि सीसीआई ने विदर्भ में 34 खरीद केंद्रों पर कपास खरीद प्रणाली शुरू की है, लेकिन किसान अभी भी विपणन महासंघ द्वारा कपास खरीद का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि यह संख्या अपर्याप्त है. इस साल केंद्र सरकार ने मीडियम यार्न कॉटन के लिए 6,620 रुपये प्रति क्विंटल और लॉन्ग यार्न कॉटन के लिए 7,200 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी घोषित की है. हालांकि ओपन मार्केट में पिछले दो साल की तुलना में इस साल कपास की कीमतें काफी कम हैं. विदर्भ मंडी में कपास की औसत कीमत 6,500 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल मिल रही है.
राज्य की कई मंडियों में कपास की कीमत एमएसपी से कम होने की वजह से किसानों में नाराजगी है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विपणन महासंघ के जरिए खरीदारी शुरू की जाएगी या नहीं. क्योंकि वहां कम से एमएसपी तो मिलेगी ही. कपास की खरीद शुरू करने के लिए आवश्यक प्रक्रिया को पूरा करने में कुछ समय लग सकता है. कपास विपणन संघ द्वारा कर्मचारियों और धन की कमी को देखते हुए इस समय सीमित संख्या में सिर्फ 25 खरीद केंद्र शुरू किए जा सकते हैं. यदि सरकार कर्मचारी उपलब्ध करा दे तो केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा सकती है.
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