कपास का उत्पादन घटने के अनुमानों के बावजूद किसानों को इसका उतना रेट नहीं मिल पा रहा है जितने की उम्मीद थी. इसका अंतरराष्ट्रीय कारण बताया जा रहा है. क्योंकि न्यूयॉर्क स्थित इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज (ICE) में कपास के वायदा कारोबार और वैश्विक मांग में नरमी के बाद कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपना माल भारतीय बाजार में बेचना शुरू कर दिया है. कमजोर वैश्विक मांग के कारण अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी पहले से कम होने की बात कही गई है. इसी महीने की शुरुआत की बात है जब महाराष्ट्र में कपास का दाम 8300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था. लेकिन अब यह घटकर 7400 रुपये तक रह गया है. हाांकि अब भी राज्य की कई मंडियों में इसका दाम एमएसपी से ज्यादा है.
केंद्र सरकार ने मध्यम रेशे वाले कपास का एमएसपी 6620 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है. जबकि लंबे रेशे वाली किस्म का एमएसपी 7020 रुपये प्रति क्विंटल है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार 26 अप्रैल को राज्य की पांच प्रमुख मंडियों के भाव आए हैं जिनमें से चार में कपास का अधिकतम और औसत दाम 7000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक है. शुक्रवार को वरोरा मंडी में कपास का दाम 7450 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
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महाराष्ट्र प्रमुख कपास उत्पादक है. यहां के किसानों को उम्मीद थी कि इस साल 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक का दाम मिलेगा. उनकी उम्मीदें सही साबित होती नजर आ रही थीं. क्योंकि दाम 8300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे. लेकिन अब दाम एक बार फिर गिरने लगे हैं. किसानों को 2021 और 2022 में कपास का बहुत अच्छा दाम मिला था. शुक्रवार को किसी भी मंडी में 2000 क्विंटल की भी आवक नहीं हुई फिर भी दाम 7450 रुपये पर अटका रहा.
केंद्र सरकार ने बताया है कि 2022-23 में देश भर में 336.60 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम की होती है) कपास का उत्पादन हुआ था. लेकिन 2023-24 के दूसरे अग्रिम अनुमान में बताया गया है कि 323.11 लाख गांठ कपास का उत्पादन होगा. इसका अर्थ यह है कि पिछले साल के मुकाबले उत्पादन कम हो गया है. किसानों का कहना है कि कम उत्पादन की वजह से दाम बढ़ना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. पिछले साल किसानों ने अच्छे दाम की उम्मीद में कपास को स्टोर कर रखा था, लेकिन बाद में दाम बढ़ने की बजाए और घट गए. इसलिए इस बार किसान असमंजस में हैं कि कपास को स्टोर करें या नहीं.
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