Basmati Rice: यूरोपीय संघ में भारत को म‍िल सकता है बासमती चावल का जीआई टैग, पाक‍िस्तान को बड़ा झटका

Basmati Rice: यूरोपीय संघ में भारत को म‍िल सकता है बासमती चावल का जीआई टैग, पाक‍िस्तान को बड़ा झटका

एक दूसरे के कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग देने के ल‍िए भारत और यूरोपीय कमीशन के बीच अब तक छह दौर की बातचीत हो चुकी है. यूरोपीय संघ चाहता था कि भारत और पाकिस्तान संयुक्त रूप से बासमती चावल के जीआई टैग की मांग करें. लेकिन भारत सरकार ने इस सुझाव को ठुकरा दिया है क्योंकि इससे देश की संप्रभुता और अखंडता पर सवाल उठ सकता है.  

भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा बासमती चावल उत्पादक है.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Apr 30, 2024,
  • Updated Apr 30, 2024, 5:05 PM IST

भारत को यूरोपीय संघ में बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) मिल सकता है. बशर्ते अगर इस साल के अंत तक दोनों के बीच एक-दूसरे के उत्पादों के लिए जीआई टैग देने पर समझौता हो जाए. जीआई टैग को लेकर एक समझौते के ल‍िए भारत और यूरोपीय कमीशन ने अब तक छह दौर की बातचीत की है. ज‍िससे क‍ि इस मसले पर क‍िसी नतीजे पर पहुंचा जा सके. बिजनेस लाइन को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के अनुसार, भारत और यूरोपीय संघ ने 12 और 13 मार्च को दो सत्रों में मुलाकात की, जिसकी सबसे बड़ी उपलब्धि उस ल‍िस्ट के आदान-प्रदान पर सहमत‍ि रही है, ज‍िसमें उन 200 उत्पादों के नाम हैं ज‍िसके ल‍िए दोनों जीआई टैग चाहते हैं. बातचीत के इस दौर से पाक‍िस्तान को झटका लगा है. 

इसके तहत अब भारत बासमती चावल और 199 अन्य उत्पादों को जीआई टैग के लिए यूरोपीय आयोग को देगा, ताक‍ि वो इनकी जांच कर सके. जीआई विशेषज्ञ एस चंद्रशेखरन ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ व्यापार संबंधी बौद्धिक अधिकार के अनुच्छेद 23 के तहत उच्च सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं. उन्होंने कहा क‍ि इसका मतलब है कि भारत बासमती चावल के लिए जीआई टैग की लड़ाई में विजेता बनेगा. इससे 4 लाख टन बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप 500 मिलियन डॉलर का बाजार लाभ होगा.क‍िसानों को इसका फायदा होगा. 

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पाक‍िस्तान को लगेगा झटका 

भारत और यूरोपीय संघ के बीच जीआई टैग सौदा भारत और पाकिस्तान की जीआई मांगने की मौजूदा प्रक्रिया को शून्य कर देगा. यानी इस मसले पर पाक‍िस्तान को बड़ा झटका लग सकता है. पाक‍िस्तान हमेशा इस कोश‍िश में लगा रहता है क‍ि यूरोपीय संघ में भारत को बासमती चावल का जीआई टैग न म‍िले. भारत ने जुलाई 2018 में जीआई टैग के लिए यूरोपीय यून‍ियन में आवेदन किया था. जबक‍ि पाकिस्तान ने भी हाल ही में अपना अनुरोध प्रस्तुत किया है. 

यूरोपीय संघ क्या चाहता था 

बताया गया है क‍ि यूरोपीय संघ जीआई टैग प्रदान करने में अपने पैर खींच रहा था, क्योंकि वह चाहता था कि भारत और पाकिस्तान संयुक्त रूप से इसकी मांग करें. लेकिन भारत सरकार ने इस सुझाव को ठुकरा दिया है क्योंकि इससे देश की संप्रभुता अखंडता पर सवाल उठ सकता है. भारत और पाक‍िस्तान दो देश ही बासमती के उत्पादक हैं. चंद्रशेखरन ने कहा क‍ि यदि समझौता हो जाता है तो यूरोपीय संघ भारत के हितों को समायोजित करने के लिए तैयार हो सकता है. क्योंकि वह अपने अनूठे पनीर, वाइन और स्पिरिट पेय के लिए भारत में जीआई सुरक्षा प्राप्त करने का इच्छुक है.

भारत से जीआई टैग चाहता है यूरोपीय संघ 

फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय संघ के कुछ सदस्य देशों में इस साल के अंत में चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में जीआई सौदे को सकारात्मक रूप में देखा जाएगा. इन सदस्य देशों में मौजूदा सरकारों को मदद मिलेगी. फ्रांस और इटली दोनों के पास बहुत सारे उत्पाद हैं जिनके लिए यूरोपीय संघ भारत से जीआई टैग चाहता है. इस सौदे का इन दोनों देशों के किसानों द्वारा स्वागत किए जाने की संभावना है. कहा जा रहा है क‍ि भारत सरकार लोकसभा चुनाव होने के बाद यह प्रक्रिया तेज कर सकती है.

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