गेहूं की उपज उत्पादन अनुमानों से अधिक पहुंचने वाली है. इस वर्ष गेहूं के पहले अनुमान में 115 मिलियन टन से कम उपज की उम्मीद लगाई गई थी. जबकि, सरकारी उत्पादन अनुमान 112.02 मिलियन टन था. जबकि, सरकारी अनुमानों से अधिक उत्पादन दर्ज किया गया है. बंपर उत्पादन के पीछे मौसम के अनुकूल रहने और इनवॉयरमेंट फ्रेंडली गेहूं की किस्मों की बुवाई को तरजीह देना भी बड़े फैक्टर के रूप में सामने आया है. कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार बता दें कि फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में देश का गेहूं उत्पादन 110.55 मिलियन टन दर्ज किया गया था.
ताजा आंकड़ों के अनुसार देर से पकने वाली किस्मों और जलवायु के अनुसार लचीली गेहूं की किस्मों की खेती से उत्पादन 115 मिलियन टन के करीब पहुंच गया है. जबकि, गेहूं का उत्पादन अनुमान कुछ संस्थाओं ने 115 मिलियन टन से अधिक की जताई गई थी. हालांकि, कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने दूसरे अग्रिम अनुमानों में 112.02 मिलियन टन की उम्मीद जताई थी. जबकि, उपज में 4-5 प्रतिशत की के चलते 114 मिलियन टन के लक्ष्य से भी अधिक उत्पादन दर्ज किया गया है. बता दें कि फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में देश का गेहूं उत्पादन 110.55 मिलियन टन दर्ज किया गया था.
स्टॉक के निचले स्तर के बीच निजी व्यापारियों से अपनी खरीद बढ़ाने के बाद सरकार पंजाब और हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों से गेहूं की खरीद करने में सक्षम नहीं है. कृषि आयुक्त पीके सिंह ने बिजनेसलाइन को बताया कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान इस साल 26 से 32 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज की रिपोर्ट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस साल पंजाब में कटाई धीमी रही है, जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में कटाई पहले ही पूरी हो चुकी है.
करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के निदेशक जीपी सिंह ने कहा कि ऐसे चार-पांच फैक्टर हैं जिन्होंने मुख्य रूप से इस वर्ष अधिक संख्या में किसानों को अधिक गेहूं की फसल करने में मदद की, जबकि पहले कुछ प्रगतिशील किसानों को ही बेहतर उपज मिल रही थी. उन्होंने कहा कि पंजाब में इस साल औसतन 7.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अधिक पैदावार हुई है, जिससे औसत उत्पादकता लगभग 5.3 टन हो गई है. उन्होंने कहा कि गेहूं का उत्पादन 115 मिलियन टन से अधिक होने की संभावना है.
IIWBR निदेशक ने कहा कि इस साल फसल में कोई बड़ी बीमारी नहीं थी और पूरे साल मौसम अनुकूल रहा. उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं की जलवायु के अनुसार लचीली किस्मों को 34.16 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र के 80 प्रतिशत से अधिक में कवर किया गया है. उन्होंने कहा कि समय पर गेहूं की किस्मों की 145-150 दिनों की लंबी अवधि होती है। बुआई ने भी अधिक उपज में योगदान दिया है. पहले पंजाब और हरियाणा में कटाई 10 अप्रैल के आसपास होती थी, जबकि इस साल 20 अप्रैल के बाद ही इसमें तेजी आई है.