पेड़ से कब नहीं गिरता है आम का फल? पेस्टिसाइड के अधिक इस्तेमाल का क्या है नुकसान?

पेड़ से कब नहीं गिरता है आम का फल? पेस्टिसाइड के अधिक इस्तेमाल का क्या है नुकसान?

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक मंजर आने पर फसल की सिंचाई बिल्कुल नहीं करें. 20 से 25 ग्राम का फल तैयार हो जाने पर ही सिंचाई करें. किसान अगर मंजर आने पर सिंचाई करते हैं तो उनकी फसल पर बुरा प्रभाव पड़ता है और अच्छी फसल तैयार नहीं होती है.

आम की खेती करने वालों के लिए जरूरी खबर. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 30, 2024,
  • Updated Apr 30, 2024, 1:15 PM IST

आम को फलों का राजा कहा गया है. भारत में इसकी बड़े बैमाने पर खेती की जाती है. इसकी कई तरह की किस्में हैं. सभी राज्यों में अलग- अलग आम की किस्मों की खेती की जाती है. लेकिन आम का झड़ना किसानों के लिए हमेशा चिंता का विषय रहता है.  यदि किसान आम का झड़ना कम नहीं कर पाए, तो उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. वहीं, जानकारों का कहना है कि बेहतर प्रबंधन का इस्तेमाल कर आम को झड़ने से रोक सकते हैं. वहीं, किसानों के बाग में रासायनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इससे फल अधिक झड़ते हैं.

एक्सपर्ट का कहना है कि जब आम का फल मटर के दाने की तरह हो तब ही किसानों को बाग का प्रबंधन चक्र शुरू कर देना चाहिए. इससे आम के पेड़ों में रोग नहीं लगते हैं और फलों की बर्बादी भी न के बराबर होती है. वहीं, आम के फलों का विकास तेजी से होता है. कृषि विशेषज्ञों की माने तो पेड़ों से फलों का झड़ना किसानों के लिए चिंता का विषय है. क्योंकि इससे फलों की गुणवत्ता और पैदावार प्रभावित होती है. इससे किसानों का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार वे लागत भी नहीं निकाल पाते हैं.

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5 प्रतिशत फल ही पेड़ पर रहते हैं

एक्सपर्ट का कहना है कि मंजर में जितने आम के फल लगते हैं, उनमें से महज 5 प्रतिशत ही अंत तक पेड़ पर टिके रहते हैं. यह तभी संभव है जब बाग का प्रबंधन अच्छी तरह से किया गया हो. यानी अगर आप बाग का रखरखाव अच्छी तरह से नहीं करते हैं, तो ये 5 प्रतिशत आम भी पेड़ पर नहीं रहेंगे. ऐसे आम के फल का वजन 50 ग्राम से अधिक हो जाता है, तो इसे गिरने की संभावना कम रहती है.

इस तरह करें प्रबंधन

ऐसे जानकारों का कहना है कि तापमान का तनाव, पानी का तनाव, तेज आंधी, कीट और रोग लगने से आम पेड़ से गिरते हैं. इसलिए किसानों को अपने बाग को गर्मी से बचाने के लिए उचित सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए. साथ ही कीट और रोगों से बचाने के लिए उचित प्रबंधन भी करना चाहिए.

इस तरह करें इमिडाक्लोरप्रीड का छिड़काव

आम की फसल को फल मक्खियां और मिली बग सहित कई कीट नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए किसान को बाग की नियमित निगरानी करनी चाहिए. वहीं, मटर के दाने के बराबर आम के फल होने जाने के बाद बाग में इमिडाक्लोरप्रीड 17.8 एसएल एक मिली दवा प्रति दो लीटर पानी में घोलकर आम के पेड़ों के ऊपर छिड़काव कर सकते हैं. इससे मधुआव की उग्रता में कमी आएगी. इसके अलावा किसान बाजार से लेंसर गोल्ड पाउडर को 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर मंजर की धुलाई कर सकते हैं, इससे मधुआ कीट का प्रकोप खत्म हो जाता है. 

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