चाइना एस्टर फूल की खेती से कमाई बढ़ा सकते हैं किसान, 4 दिन तक होती है शेल्फ लाइफ

चाइना एस्टर फूल की खेती से कमाई बढ़ा सकते हैं किसान, 4 दिन तक होती है शेल्फ लाइफ

देश के सीमांत और छोटे किसान पारंपरिक फसल के रूप में चाइना एस्टर फूल की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. भारत में चाइना एस्टर की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में की जाती है. चाइना एस्टर को खुली जगहों, अर्ध-छायादार घरों और ग्रीनहाउस में उगाया जाता है.

चाइना एस्टर फूल की खेतीचाइना एस्टर फूल की खेती
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Aug 22, 2024,
  • Updated Aug 22, 2024, 12:31 PM IST

फल, सब्जी, अनाज के अलावा अब किसान फूलों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. आपको बता दें फूलों का इस्तेमाल अब ना सिर्फ पूजा और सजावट के लिए बल्कि औषधि से लेकर ब्युटि प्रॉडक्ट बनाने तक में किया जाने लगा है. जिस वजह से इसकी मांग में गज़ब की बढ़त हुई है. ऐसे में फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह मुनाफे का सौदा बनता जा रहा है. फूलों की खेती की बात करें तो अधिकतर किसान गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी, आदि फूलों की खेती करना पसंद करते हैं. लेकिन एक फूल ऐसा भी है जिसकी खेती से किसान मालामाल हो सकते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं चाइना एस्टर फूल की. ​​यह एक ऐसा फूल है जिसकी सेल्फ लाइफ 4 दिन तक होती है. यानी यह फूल 4 दिन तक ताजा रह सकता है. ऐसे में अगर किसान इसकी खेती करें तो उन्हें ज्यादा मुनाफा होने की संभावना है. तो आइए जानते हैं क्या है चाइना एस्टर फूल और कैसे होती है इसकी खेती.

चाइना एस्टर फूलों की खेती

चाइना एस्टर एक बहुत ही महत्वपूर्ण वार्षिक फूल है. वार्षिक फूलों में गुलदाउदी और गेंदा के बाद यह तीसरे नंबर पर आता है. हमारे देश के सीमांत और छोटे किसान पारंपरिक फसल के रूप में इसकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. भारत में चाइना एस्टर की खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में की जाती है. चाइना एस्टर को खुली जगहों, अर्ध-छायादार घरों और ग्रीनहाउस में उगाया जाता है. इसके फूल अलग-अलग रंगों में खिलते हैं और लंबे समय तक ताजे रहते हैं, इसलिए इन्हें सजावट के लिए पसंद किया जाता है. इसके फूलों से खूबसूरत रंगोली, फूलों की माला, सजावट के लिए इस फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं इसकी खेती नारियल के बागानों में भी आसानी से की जा सकती है.

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चाइना एस्टर फूल की खासियत

  • इसके फूल गहरे गुलाबी रंग के होते हैं और यह स्थानीय गुलाबी किस्म की तुलना में अधिक आकर्षक है.
  • इसे पहला फूल आने में 1.38 दिन लगते हैं और यह 60 सेमी तक बढ़ता है. इसका डंठल 30 सेमी लंबा होता है और इसका शेल्फ लाइफ 4 से 8 दिन तक का होता है.
  • फूलों का आकार लगभग 6 सेमी तक का होता है और इसका वजन 2 ग्राम तक का होता है.
  • प्रत्येक पौधे पर 50 फूल तक लगते हैं.

खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

चाइना एस्टर के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है. फूलों के रंग के समुचित विकास के लिए दिन का तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15-17 डिग्री सेल्सियस और 50-60% हुमिडीटी की जरूरत होती है.

इसे पूरे वर्ष तापमान, प्रकाश और आर्द्रता को नियंत्रित करके ग्रीनहाउस में उगाया जाता है. उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली, लाल दोमट मिट्टी चाइना एस्टर की अच्छी वृद्धि के लिए उपयुक्त होती है. चाइना एस्टर की खेती के लिए 6.8-7.5 पीएच मान वाली मिट्टी उपयुक्त होती है.

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खेत की तैयारी

चाइना एस्टर की खेती समतल खेत में आसानी से की जा सकती है. इसके लिए खेत की 2 से 3 बार अच्छी तरह से जुताई करने के बाद खेत को समतल कर लेना चाहिए और उसमें प्रति एकड़ 5-6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए. क्यारियों की लंबाई अपनी सुविधानुसार रखनी चाहिए और जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए.

नर्सरी की तैयारी

पौधे तैयार करने के लिए बीज बक्सों या मेड़ों पर बोया जा सकता है. भारत में जून से अक्टूबर तक कभी भी पौध तैयार की जा सकती है. बीज अंकुरण के लिए 21-25 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है. एक एकड़ क्षेत्र के लिए लगभग 125-150 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं.

नर्सरी के लिए मिट्टी, रेत और गोबर की खाद को 1:1:1 के अनुपात में मिलाकर 1 मीटर चौड़ी और 3-6 मीटर लंबी क्यारियां तैयार कर लें. बीजों को 5 सेमी की दूरी पर पंक्तियों में 1 सेमी की दूरी पर गिराना चाहिए और बीजों को सड़ी हुई गोबर की खाद या छनी हुई पत्ती की खाद से ढक देना चाहिए, ध्यान रखें कि बीज बहुत गहरे न डालें. नर्सरी में पानी को बारीक छिड़काव से देना चाहिए ताकि नमी बनी रहे.

खाद और उर्वरक

फूलों के अच्छे उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक की आवश्यकता होती है. पोषक तत्वों की कमी से पौधों की वृद्धि कम होती है और फूलों का उत्पादन भी कम होता है. पौधों की अच्छी वृद्धि और फूलों के उत्पादन के लिए खेत की तैयारी के समय 90 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस और 60 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है. फसल की रोपाई के 40 दिन बाद पौधों को 90 किलोग्राम नाइट्रोजन टॉप ड्रेसिंग के रूप में दिया जाता है. खेत में जिंक, कॉपर, बोरॉन और मैंगनीज जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग करने से फूलों की गुणवत्ता में सुधार होता है.

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