भारत दुनियाभर में प्राचीन समय से मसालों के लिए मशहूर रहा है. यहां के विभिन्न स्वाद और सुगंध वाले मसाले दुनिया के कोने-कोने तक निर्यात किए जाते हैं. भारत की मिर्च भी इसमें शामिल है. यहां कई प्रकार की वैरायटी की मिर्च पाई जाती है. ऐसे में आज हम आपको मिर्च की खेती से जुड़ी अहम जानकारी दे रहे हैं. इन सुझावों को अपनाकर किसान अच्छा उत्पादन हासिल कर बढ़िया कमाई कर सकते हैं. इस समय मिर्च की पौध तैयार करने का समय तो है ही साथ ही जून के आखिरी समय तक खेत में 30-35 दिनों की पौध की रोपाई भी कर देनी चाहिए.
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, सामान्य प्रजातियों की रोपाई के लिए पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी 45×45 सें.मी. और संकर (हाइब्रिड) किस्मों की रोपाई पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे 60×45 सें.मी. की दूरी पर करनी चाहिए. किसानों को सलाह है कि मिर्च की फसल के लिए खेत की तैयारी करते समय 20-25 टन सड़ी गोबर की खाद के साथ बुवाई के समय 100-120 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 60 कि.ग्रा., फॉस्फोरस पोटाश 40 कि.ग्रा./हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए.
रोपाई से पहले अंतिम जुताई के समय आधी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय मिलानी चाहिए और बची हुई नाइट्रोजन की मात्रा खड़ी फसल में दो बार में देनी चाहिए. मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा देना चाहिए, उसके बाद इमिडाक्लोप्रिड 0.3 मिली/लीटर की दर से छिड़काव करें. जरूरत के हिसाब से फसल में कम अंतराल में सिंचाई करें.
मिर्च की खेती न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि इसकी खेती किसानों को काफी कम समय में अच्छा रिटर्न भी देती है. हालांकि, इसमें मार्केटिंग और ब्रांडिंग का भी बड़ा रोल होता है. आज भारत के कई गांव ऐसे हैं, जहां ज्यादातर किसान मिर्च की खेती करते हैं और इससे लाखों रुपये का मुनाफा कमाते हैं. मिर्च की खेती इन गांवों की पहचान बन गई है. इन गांवों के किसान बताते हैं कि पहले वे सिर्फ पारंपरिक खेती किया करते थे.
भारत में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कनार्टक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में मिर्च की खेती होती है. वहीं, आंध्र में सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. यहां का गुंटूर जिला मिर्च की खेती के लिए मशहूर है और यहां की मंडी दुनिया की सबसे बड़ी मिर्च मंडियों में शामिल है.
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