अनार की एक बेहद खास किस्म है जिसका नाम है भगवा (Bhagwa variety). भगवा नाम इसके रंग की वजह से पड़ा है. जब इस अनार का फल पकता है, तो उसका रंग भगवा हो जाता है. इसी वजह से इस वेरायटी को भगवा (Bhagwa) के नाम से जानते हैं. हालांकि देश के अलग-अलग इलाकों में इसके कई कमर्शियल नाम हैं. जैसे आप इसे शेंदरी, अष्टगंधा, मस्तानी, जय महाराष्ट्र और रेड डायना के नाम से जान सकते हैं. भगवा अनार मूल रूप से महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों में उगाया जाता है. लेकिन अन्य जगहों पर भी इसकी व्यावसायिक खेती हो रही है. ऑनलाइन साइटों पर इस एक अनार की कीमत 200 रुपये से अधिक है. एक अनार ढाई सौ ग्राम से अधिक वजन का हो सकता है.
किसान अगर इस अनार की खेती करें और एमेजॉन, फ्लिपकार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सेलर के तौर पर बिक्री करें, तो उन्हें बेहद अच्छी कमाई हो सकती है. ई-कॉमर्स साइटों पर भगवा अनार (bhagwa variety) की कीमत प्रति किलो 800 से 1000 रुपये तक जा सकती है. भगवा अनार महाराष्ट्र के अलग-अलग जिलों जैसे सोलापुर, नासिक, सांगली, सतारा, अहमदनगर, पुणे और धुले में उपजाया जाता है. महाराष्ट्र के राहुरी स्थित महात्मा फुले एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने इन्हीं जिलों में भगवा अनार (bhagwa pomegranate) लगाने की सलाह दी है. यह इलाका भगवा अनार के लिए बेहतर माना जाता है.
भगवा वेरायटी (Bhagwa variety) को अत्यधिक उत्पादन वाला अनार माना जाता है और यह व्यावसायिक दृष्टि से कमाई के लिए उपयुक्त है. यह अनार 180-190 दिनों में पक जाता है. एक पौधे पर 30 से 31 किलो तक का उत्पादन लिया जा सकता है. इस तरह एक सीजन में भगवा अनार (bhagwa pomegranate) का एक पौधा किसान को 25000 रुपये तक की कमाई करा सकता है. इसका फल बड़ा, चमकदार और रंग में काफी आकर्षक होता है जिससे इसकी बिक्री और मांग और बढ़ जाती है. इसकी बाहरी परत मोटी होती है जिससे दूर-दराज के इलाके में ढोने में कोई जोखिम नहीं रहता. परत पतली हो तो फल के खराब होने की आशंका अधिक होती है. भगवा अनार के साथ ये बात नहीं है.
अनार (Bhagwa) की अन्य वेरायटी देखें तो भगवा अनार पर दाग-धब्बे कम होते हैं. इससे इसे बेचने में आसानी होती है. दागदार फल लेने में ग्राहक हिचकते हैं, मगर भगवा अनार के साथ यह बात नहीं होती. इन सभी फायदों को देखते हुए महाराष्ट्र के कुछ खास इलाकों में भगवा की खेती बड़े स्तर पर होती है क्योंकि वहां का मौसम उसके अनुकूल है.