अपने स्वाद और खुशबू की वजह से लोगों के बीच लोकप्रिय बासमती चावल का दाम इंटरनेशनल मार्केट में कम हो गया है. वर्तमान वित्त वर्ष यानी 2024-25 के अप्रैल-मई में भारत से 1075 डॉलर प्रति टन के दाम पर बासमती का एक्सपोर्ट किया गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 29 डॉलर कम है. वर्ष 2023-24 की अप्रैल-मई के दौरान हमने 1104 डॉलर प्रति टन के दाम पर इसका एक्सपोर्ट किया था. इसका मतलब पिछले साल के मुकाबले हर क्विंटल के पीछे इस बार 242.5 रुपये कम मिल रहे हैं. इसीलिए एक्सपोर्टर सरकार पर बासमती का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) कम करने का दबाव बना रहे हैं.
हालांकि यह भी सच है कि जो दाम इस वक्त मिल रहा है वो एमईपी से ज्यादा ही है. इस वक्त बासमती का एमईपी 950 डॉलर प्रति टन है. ऐसे में केंद्र सरकार एक्सपोर्टरों की मांग पर कोई लोड नहीं ले रही है. अगर इंटरनेशनल मार्केट में बासमती के दाम उसकी एमईपी से कम हो जाएं तो ही सरकार इसे कम करने पर विचार करेगी. पिछले साल एमईपी 1200 डॉलर प्रति टन तय कर दिया गया था, जिसका खूब विरोध हुआ था. कई दौर की बातचीत के बाद सरकार ने 250 डॉलर प्रति टन की कमी कर दी थी.
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बेशक इंटरनेशनल मार्केट में बासमती चावल के दाम में कमी आ गई है, लेकिन एक्सपोर्ट बढ़ गया है. डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के अनुसार इस साल अप्रैल-मई दो महीनों में ही भारत ने रिकॉर्ड 9,65,128 मीट्रिक टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट किया, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले अधिक है. पिछले साल यानी 2023 के इन्हीं दो महीनों में हमने 8,30,858 मीट्रिक टन बासमती चावल एक्सपोर्ट किया था.
पिछले साल यानी 2023 के अप्रैल-मई के मुकाबले इस बार एक्सपोर्ट से मिलने वाली रकम में 14.79 फीसदी का इजाफा हुआ है. वर्ष 2023-24 के अप्रैल-मई में भारत से 7,536.6 करोड़ रुपये के बासमती चावल का एक्सपोर्ट हुआ था, जबकि 2024-25 के अप्रैल-मई में इसके एक्सपोर्ट से 8,651.4 करोड़ रुपये आए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट बैन की वजह से बासमती चावल के एक्सपोर्ट में इजाफा हो रहा है.
सउदी अरब, इराक, ईरान, संयुक्त राज्य अमेरिका और यमन ये पांच देश अप्रैल और मई में बासमती के सबसे बड़े आयातक हैं. सउदी अरब ने 2036 करोड़, इराक ने 1348.83, ईरान ने 963.60, अमेरिका ने 500.47 और यमन ने 414.20 करोड़ रुपये का बासमती चावल आयात किया है. इन पांच देशों के पास कुल आयात की 60.84 फीसदी हिस्सेदारी है.
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