
महाराष्ट्र में इस साल चीनी पेराई का सीजन तेजी से चल रहा है. पिछले साल इसी समय की तुलना में 21 दिसंबर तक गन्ने की ज्यादा पेराई और चीनी का उत्पादन ज्यादा हुआ है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य भर की 191 चीनी मिलों ने अब तक 446.04 लाख टन गन्ने की पेराई करके 380.21 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है. यह पिछले सीजन की तुलना में एक बड़ा सुधार है. पिछले साल इसी तारीख तक, इतनी ही मिलों ने सिर्फ 268.67 लाख टन गन्ने की पेराई की थी. इससे 222.82 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ था.
विशेषज्ञों की मानें तो इस सीजन में काम की तेज रफ्तार यह बताने के लिए काफी है कि प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों में पेराई गतिविधि में कितना सुधार हुआ है. चीनी रिकवरी दर में भी सुधार हुआ है. इस सीजन में, औसत चीनी निकालने का प्रतिशत 8.52 प्रतिशत है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 8.20 प्रतिशत था. यह आंकड़ा बताता है कि गन्ने की प्रोसेसिंग और बेहतर हुई है.
वहीं सरकार की तरफ से आए आंकड़ों में रीजनल डेटा भी हैं. इन आंकड़ों से पता लगता है कि पश्चिमी और मध्य महाराष्ट्र में चीनी पेराई की परफॉर्मेंस बेहतर है. कोल्हापुर डिवीजन में, 37 चालू चीनी मिलों ने 98.79 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई करके 98.77 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया है. वहीं पुणे डिवीजन, जिसमें 30 चालू मिलें हैं, ने अब तक सबसे ज्यादा गन्ने की पेराई की रिपोर्ट दी है. इसमें 109.34 लाख टन गन्ने को प्रोसेस करके 96.02 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन किया गया है.
इसी तरह से सोलापुर डिवीजन, जो एक और प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्र है, में 43 चालू मिलें हैं. इन मिलों ने 94.63 लाख टन गन्ने की पेराई की है, जिसकी वजह से 21 दिसंबर तक 72.6 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ है. कुल मिलाकर ये आंकड़ें बताने के लिए काफी हैं कि मौजूदा चीनी सीजन पिछले साल की तुलना में ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रहा है, चाहे वह गन्ने की पेराई हो या चीनी रिकवरी, जो महाराष्ट्र के चीनी उद्योग में मजबूत ऑपरेशनल गति को दिखाता है.
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