
गेहूं की फसल में अक्सर किसान जिंक का इस्तेमाल नहीं करते. लेकिन जिंक (Zinc) पौधों के लिए बहुत जरूरी तत्व है. भारत में 40% से ज्यादा जमीन में जिंक की कमी पाई जाती है. अगर आप सही समय पर जिंक का उपयोग करेंगे, तो आपकी फसल स्वस्थ और हरी-भरी होगी.
जिंक पौधों के लिए बहुत जरूरी होता है. भले ही पौधे को बहुत कम मात्रा में जिंक चाहिए, लेकिन यह पौधे की बढ़वार, हरा रंग और कल्लों (फल) के बनने में मदद करता है. जिंक डालने से आपको ग्रोथ प्रमोटर (Growth Promoter) की जरूरत नहीं पड़ती.
अगर गेहूं के पौधे में जिंक की कमी हो जाए, तो पौधे की बढ़वार रुक जाती है. इसे पहचानना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन आप पत्तियों को देखकर जान सकते हैं:
गेहूं में जिंक डालने का सबसे अच्छा समय बुवाई (सिंचाई) के समय है. क्योंकि पौधे धीरे-धीरे इसे ले लेते हैं और कम मात्रा में भी पर्याप्त होता है.
अगर आपने बुवाई के समय जिंक नहीं डाला, तो आप इसे इस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं:
अगर किसान सीधे जमीन में जिंक नहीं डालना चाहते, तो स्प्रे का तरीका भी है:
हमेशा गेहूं बोने से पहले मिट्टी की जांच कराएं मिट्टी में जिंक और अन्य तत्वों की कमी जानकर ही खाद और नुट्रिएंट्स का उपयोग करें. इससे आप कम खर्च में ज्यादा पैदावार ले सकते हैं. जिंक गेहूं की फसल के लिए छोटा लेकिन बहुत महत्वपूर्ण तत्व है. इसे सही समय और मात्रा में इस्तेमाल करें, ताकि आपका गेहूं हरा-भरा और मजबूत हो.
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