नवरात्र में होती है जौ की पूजा, जानिए इसकी पांच उन्नत किस्मों के बारे में

नवरात्र में होती है जौ की पूजा, जानिए इसकी पांच उन्नत किस्मों के बारे में

अगर आप भी जौ की खेती करना चाहते हैं तो अक्टूबर का महीना जौ की खेती करने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. इसके लिए आप सही किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं. जानिए जौ की ऐसी ही पांच किस्मों के बारे में जिसकी खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा.

नवरात्र में होती है जौ की पूजा, जानिए इसकी पांच उन्नत किस्मों के बारे मेंनवरात्र में होती है जौ की पूजा, जानिए इसकी पांच उन्नत किस्मों के बारे में
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Oct 04, 2023,
  • Updated Oct 04, 2023, 7:01 PM IST

जौ ठंडे और गरम दोनों जलवायु की फसल है. जौ का इस्तेमाल दाना, लावा, सत्तू, आटा, माल्ट बनाने के लिए किया जाता है. जौ एक ऐसी फसल है जिसका महत्व धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है. अक्टूबर का महीना जौ की खेती के साथ ही इसके महत्वों वाला महीना भी माना जाता है. दरअसल नवरात्र में जौ का इस्तेमाल पूजा पाठ में बड़े स्तर पर किया जाता है. यहां तक कि नवरात्र में अनुष्ठान करने वाले व्रती कलश स्थापना में जौ का उपयोग करते हैं.

इसमें जौ को कलश के नीचे जमाया जाता है और उसकी पूजा भी की जाती है. इसी आधार पर आइए जानते हैं कि जौ कब बोते हैं और इसकी उन्नत किस्में कौन सी हैं. 

इन पांच किस्मों की करें खेती

भारत के कई राज्यों में जौ की खेती अक्टूबर महीने में की जाती है. अगर आप किसान हैं और इस अक्टूबर किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो जौ की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में करण-201, नीलम, डी डब्ल्यू आर बी 160, रत्ना और आरडी-2899 किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. 

करण-201 किस्म

जौ की उन्नत किस्म करण 201 अच्छी उपज देनी वाली किस्म है. रोटी बनाने के लिए ये किस्म अच्छी मानी जाती है. जौ की यह किस्म मध्य प्रदेश के पूर्वी और बुंदेलखंड क्षेत्र, राजस्थान और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. करण 201 की औसत उपज 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

नीलम किस्म

नीलम किस्म के जौ की खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार के क्षेत्रों में की जाती है. जौ के इस किस्म से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज मिल जाती है. इस किस्म में प्रोटीन और लाइसिन की मात्रा अधिक पाई जाती है.

डी डब्ल्यू आर बी 160 

जौ की यह किस्म पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में बोई जाती है. यह जौ के उन्नत किस्मों में से एक है. इस किस्म को आईसीएआर करनाल द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म की औसत उपज 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. 

रत्ना किस्म

जौ की रत्ना किस्म की खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के वर्षा आधारित क्षेत्रों में की जाती है. जौ के इस खास किस्म में बुवाई के 65 दिनों के बाद बालियां आनी शुरू हो जाती हैं. वहीं लगभग 125-130 दिनों में यह फसल पककर तैयार हो जाती है.

आरडी-2899 किस्म

ये जौ की नवीनतम किस्मों में से एक है. जौ की ये किस्म मध्य भारत के लिए उपयोगी मानी जाती है. वहीं ये किस्म जल्दी पकने वाली किस्म मानी जाती है. ये किस्म 110 दिनों में ही पककर तैयार हो जाती है, जबकि आम किस्में पकने में 125 से 130 दिनों का समय लेती हैं. इस किस्म की औसत उपज 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. 

MORE NEWS

Read more!