भारत में कुछ सब्जियों की मांग हमेशा बनी रहती है. वहीं इन फसलों से किसानों को अच्छा लाभ भी होता है. इसी लाभदायक खेती में से एक अरबी की खेती भी है. इस खेती के लिए ज्यादा लागत की आवश्यकता नहीं पड़ती है. साधारण तरीके से खेती करके भी किसानों को अच्छा मुनाफा हो सकता है.
वहीं, बरसात के मौसम में अरबी का मूल्य अन्य सीजन के मुकाबले अच्छा मिलता है. अरबी जमीन के अंदर उगने वाली फसल है. देश में इसकी खेती लगभग हर जगह होती है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अरबी के पौधों का विकास गर्मी और बरसात के मौसम में बहुत ही अच्छे तरीके से होता है. इस के कंद में स्टार्च, पत्तियों में विटामिन ए, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
मार्केट में अरबी की मांग हमेशा बनी रहती है. वर्तमान में फुटकर बाजार में अरबी का दाम 40 रुपये से लेकर 80 रुपये किलो चल रहा है. यदि इसी दर पर बिक्री जारी रही तो फसल से और भी अच्छा मुनाफा हो सकता है.
किसान अरबी की खेती कर किसान कम लागत में ही अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. हालांकि, इसकी खेती में पानी की मात्रा अधिक लगती है. इसलिए जिन क्षेत्रों में जलसंकट हो वैसे किसनों को इसे नहीं लगाना चाहिए.
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यदि अनुकूल मौसम रहे तो करीब एक बीघा जमीन में अरबी की खेती पर 10 हजार से 15 हजार रुपये की लागत आती है. वहीं, मुनाफा कई गुणा तक हो सकता है. इसके अलावा मार्केट में अच्छा रेट मिलने पर मुनाफा और अधिक बढ़ सकता है.
किसानों को फसल बुवाई के 5-6 दिन बाद इसकी सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद फिर से 9-10 दिनों के बाद बीच-बीच में सिंचाई करते रहना चाहिए. बुवाई के 5-6 महीनों बाद ही यह फसल तैयार हो जाती है. एक हेक्टेयर में अरबी की खेती करने पर करीब 250 से 300 क्विंटल तक पैदावार होती है. वहीं, लाखों रुपये मुनाफा होता है.
अरबी के कंद के अलावा लोग इसके पत्तों की सब्जी भी खूब पसंद करते हैं. इसके पत्तों को बेसन के लेप के साथ स्टीम कर पकाया जाता है और बाद में मसालों के साथ फ्राई किया जाता है, जो खाने में बहुत स्वादिष्ट लगती है.