काजू उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों का मुनाफा बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक फसलों की नई किस्में विकसित करने में जुटे हैं. इसी कड़ी में काजू अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने काजू की दो हाईब्रिड किस्में विकसित कर ली हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह किसानों को ये काजू की दो नई हाइब्रिड किस्में सौपेंगे. केंद्र सरकार 2024-25 के दौरान जलवायु अनुकूल 109 किस्में विकसित करने की घोषणा कर चुकी है.
नई किस्मों को विकसित करने और बीजों के विकास पर रिसर्च करने वाले केंद्र सरकार के अधीन संस्थान कर्नाटक के पुत्तूर स्थिति काजू अनुसंधान निदेशालय (DCR) ने काजू की दो हाइब्रिड किस्में नेत्र जंबो-1 और नेत्र गंगा को विकसित किया है. इन दोनों किस्मों को प्रधानमंत्री मोदी अगले सप्ताह पेश करेंगे. यह दोनों किस्में जलवायु अनुकूल होने के साथ ही कई खूबियों से लैस हैं.
रिपोर्ट के अनुसार काजू की हाइब्रिड किस्म नेत्र जंबो-1 (Netra Jumbo-1) को डीसीआर निदेशक दिनाकरा अडिगा और उनकी टीम ने विकसित किया है. नई हाइब्रिड किस्म नेत्र जंबो-1 काजू का वजन 12 ग्राम है. 90 फीसदी से अधिक काजू एक ही साइज के हैं. 100 किलोग्राम कच्चे काजू को प्रॉसेस करके लगभग 29-30 किलोग्राम काजू गिरी हासिल की जाती है. इस हाइब्रिड में मौजूदा निर्यात मानक ग्रेड W180 की तुलना में हाई ग्रेड W130 का काजू है, जो अधिक कीमत में बिकेगा और किसान को अधिक मुनाफा होगा.
हाइब्रिड किस्म नेत्र जंबो-1 से काजू के उत्पादन पर प्रति टन 16,000 रुपये की मजदूरी बचेगी. डीसीआर निदेशक दिनाकरा ने कहा कि मौजूदा बाजार मूल्य पर बड़े आकार के इस किस्म के काजू पर प्रति टन लगभग 10,000 रुपये अधिक मिलते हैं. इस हाइब्रिड किस्म से प्रति टन 26,000 रुपये अधिक मुनाफा कमाया जा सकेगा. इस किस्म के बड़े आकार के काजू की वजह से फैक्ट्री में मजदूरी की लागत भी घटती है.
काजू की दूसरी हाइब्रिड किस्म नेत्र गंगा (Netra Ganga) को डीसीआर के पिछले प्रभारी निदेशक गंगाधर नायक और उनकी टीम ने विकसित किया है. इस किस्म के काजू 12-13 ग्राम के साइज के होते हैं जो सामान्य से काफी बड़े होते हैं. यह गुच्छेदार किस्म होती है और इसकी पैदावार भी अच्छी होती है. बुवाई के समय नेत्र गंगा किस्म के पौधे बहुत जल्दी फूल देने लगते हैं और और काजू उत्पादन शुरू हो जाता है. 3 साल में ही इस किस्म का एक पौधा 5 किलोग्राम से अधिक उपज देने लगता है.
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