Apple Farming: कश्मीर और हिमाचल के बाद अब इस राज्य में जड़ें जमा रही सेब की खेती, बेहतर भविष्य की उम्मीद में किसान

Apple Farming: कश्मीर और हिमाचल के बाद अब इस राज्य में जड़ें जमा रही सेब की खेती, बेहतर भविष्य की उम्मीद में किसान

Apple Farming: मणिपुर के सेनापति और उखरुल की ठंडी, हरी-भरी पहाड़ियों में सेब की खेती खूब फल-फूल रही है. जो सेब कभी पूरी तरह कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ही हुआ करता था, अब वही सेब इस पूर्वोत्तर राज्य में जड़ें जमा रहा है. इससे यहां के किसानों की आय में वृद्धि हो रही है और अधिक किसान और पेशेवर बागों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं.

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क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Aug 09, 2025,
  • Updated Aug 09, 2025, 4:29 PM IST

सेब, जो कभी मुख्य रूप से कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ही उगाया जाता था, वो अब एक पूर्वोत्तर राज्य में भी जड़ें जमा रहा है. जी हां, मणिपुर के सेनापति और उखरुल की ठंडी, हरी-भरी पहाड़ियों में एक शांत क्रांति चल रही है. दरअसल, पारंपरिक रूप से चावल, मक्का और दालों के लिए प्रसिद्ध मणिपुर के किसान बदलते जलवायु पैटर्न, आधुनिक कृषि पद्धतियों और उत्पादकों में बढ़ती जागरूकता के कारण, अब सेब की खेती अपना रहे हैं.

सेब की खेती से बेहतर भविष्य की उम्मीद

सेब की खेती को लेकर सेनापति के एक प्रगतिशील किसान जॉय, कहते हैं कि पिछले साल हमारी पहली फसल थी और इस साल हम दूसरी फसल की उम्मीद कर रहे हैं. हमने 300 से 400 पौधे लगाए हैं, वो भी सारे जैविक. यहां जंगली सेब अच्छी तरह उगते हैं और हमारे पेड़ सिर्फ़ चार साल पुराने हैं." जॉय और कई अन्य लोगों के लिए, यहां सेब की खेती एक बेहतर भविष्य का वादा कर रही है, जिससे स्थानीय शहरों से आगे बढ़कर इम्फाल और यहां तक कि पूरे देश में सेब के बाज़ार के विस्तार की उम्मीद है.

दरअसल, उखरुल, सेनापति और तामेंगलोंग के पहाड़ी ज़िले की उत्तम परिस्थितियां, ठंडी जलवायु, उपजाऊ मिट्टी और ऊंचाई प्रदान करते हैं, जो स्वास्थ्यवर्धक कुरकुरे, स्वादिष्ट सेबों की खेती के लिए आदर्श हैं. उच्च मूल्य वाली नकदी फसल होने के कारण, सेब पारंपरिक खेती की तुलना में बेहतर लाभ प्रदान करते हैं, जिससे यहां के किसानों की आय में वृद्धि होती है और अधिक किसानों और पेशेवरों को बागों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.

सौ साल से भी ज़्यादा चलता है सेब का पेड़

उखरुल स्थित पेटीग्रेव कॉलेज के प्रधानाचार्य रिंगकाहाओ होराम इसकी दीर्घकालिक संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहते हैं कि एक सेब का पेड़ सौ साल से भी ज़्यादा समय तक चल सकता है. अगर हम स्थानीय स्तर पर सेब उगाएं, तो हम कश्मीर और चीन से आयात पर निर्भरता कम कर सकते हैं. उचित बाज़ार पहुंच के साथ, मणिपुर दुनिया भर में सेब का निर्यात कर सकता है.

सेब की खेती की ओर यह बदलाव मणिपुर के कृषि विविधीकरण में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करता है, बल्कि युवाओं को खेती के लिए प्रेरित भी करता है और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देता है. निरंतर समर्थन और नवाचार के साथ, मणिपुर भारत के सेब उत्पादन परिदृश्य में एक उभरता सितारा बनने के लिए तैयार है, जो वास्तव में एक शानदार सफलता है.

(सोर्स- ANI)

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