राइस क्वीन कहे जाने वाले बासमती ने नया इतिहास रच दिया है. यह इतिहास और रिकॉर्ड बना है दाम को लेकर. ट्रेडिशनल वैराइटी सीएसआर-30 और तरावड़ी बासमती का भाव 6200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. जबकि, पिछले साल इसका भाव अधिकतम 4500 रुपये था. ध्यान रहे कि यह धान का दाम है न कि चावल का. एक क्विंटल धान में लगभग 62 किलो चावल निकलता है. बासमती की दूसरी किस्मों के भाव में भी उछाल है. इसकी एक वजह पाकिस्तान भी है. फसल में कीटनाशकों के इस्तेमाल के कारण पिछले पांच वर्ष से बासमती का एक्सपोर्ट कम हो रहा था, लेकिन इस बार दुनिया भर में इसकी मांग में तेजी देखी गई है. फिलहाल, रिकॉर्ड भाव मिलने से पंजाब, हरियाणा के किसानों की बल्ले-बल्ले हो गई है.
सरकार बासमती का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं घोषित करती है. यह हमेशा बाजार भाव पर बिकता है. बासमती का भाव आमतौर पर धान की दूसरी किस्मों के मुकाबले अधिक ही होता है. लेकिन, इस साल तो मार्केट में हर रोज नया रिकॉर्ड बन रहा है. आखिर इतना भाव मिलने की वजह क्या है? इस सवाल को समझने के लिए जब हमने बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. रितेश शर्मा से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इतिहास में कभी भी किसानों को बासमती धान का इतना रेट नहीं मिला था, जितना इस साल मिल रहा है.
शर्मा का कहना है कि बासमती धान का एरिया इस साल कम है. लगभग 15 फीसदी कम रोपाई हुई थी. इसके अलावा, कटाई के समय मौसम खराब होने से फसल का नुकसान भी हुआ था. भारत ही नहीं पाकिस्तान में भी बासमती धान की फसल तबाह हुई है. क्योंकि वहां बाढ़ आ गई थी. इसलिए उत्पादन में कमी आई और दाम बढ़ने लगा. पाकिस्तान में बासमती उत्पादक 14 जिले हैं. जबकि, भारत में 95 जिलों में बासमती का जियोग्राफिकल इंडीकेशन (जीआई) मिला हुआ है.
पंजाब राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सेठी का कहना है कि 2022 में पूरी दुनिया ने गेहूं का संकट झेला है. उसका दाम आसमान पर चला गया है. इस समय गेहूं एमएसपी से करीब 900 रुपये अधिक भाव पर बिक रहा है. यह तो भारत की बात है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में गेहूं का क्राइसिस रहा है. क्योंकि यह दोनों देश मिलकर विश्व का लगभग 25 फीसदी गेहूं पैदा करते हैं. गेहूं संकट की वजह से चावल की खपत पूरी दुनिया में बढ़ी है.
मांग में वृद्धि का असर चावल के दाम पर भी दिखाई दे रहा है. इसका एक्सपोर्ट बढ़ गया है. बासमती के इतने भाव की वजह से अगले साल कुछ एरिया बढ़ सकता है. इस बार पंजाब में 12 लाख में एकड़ में बासमती की खेती हुई थी. जबकि, पूरे देश में 25 लाख हेक्टेयर एरिया था. पाकिस्तान में आई बाढ़ भी बासमती धान के दाम में इतनी तेजी की एक वजह है. भारत बासमती राइस का सबसे बड़ा निर्यातक है.
बीईडीएफ के साइंटिस्ट डॉ. शर्मा ने बताया कि पूसा बासमती-1121 का भाव इस वक्त 4800 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि यह वैराइटी पिछले साल अधिकतम 3500 रुपये के भाव पर बिकी थी. इसी तरह पूसा बासमती-1401 का मौजूदा रेट 5000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि, पिछले वर्ष यह 3500-3600 रुपये के भाव पर बिकी थी.
शर्मा ने बताया कि सीएसआर-30 और तरावड़ी बासमती का भाव इसलिए ज्यादा क्योंकि इसकी उपज बहुत कम है और यह दोनों क्ववालिटी में बेस्ट हैं. यह लंबी अवधि की किस्में हैं. प्रति हेक्टेयर 25 प्रति क्विंटल तक की ही पैदावार है. इसलिए देश में इसका एरिया मुश्किल से 4 फीसदी ही रह गया है. ऐसे में बेहतरीन गुणवत्ता और कम पैदावार की वजह से इसका दाम सबसे ज्यादा है. दूसरी ओर पूसा बासमती-1121 की पैदावार प्रति हेक्टेयर 50 और पूसा बासमती-1401 की पैदावार 70 क्विंटल तक है.
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