फसल नुकसान की भरपाई में नहीं होगी देरी, सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

फसल नुकसान की भरपाई में नहीं होगी देरी, सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

फसलों की उपज पर बनी कमेटी 45 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करेगी. यह कमेटी फसलों की उपज को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानी कि SOP भी तैयार करेगी. उपज बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी इंप्लीमेंटेशन पार्टनर्स को कैसे शामिल किया जाए, कमेटी इस पर भी अपनी सिफारिश देगी.

फसल नुकसान भरपाई के लिए सरकार ने बनाई कमेटीफसल नुकसान भरपाई के लिए सरकार ने बनाई कमेटी
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Dec 14, 2022,
  • Updated Dec 14, 2022, 6:19 PM IST

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने दो कमेटियां गठित की हैं जिनका काम फसलों के नुकसान को कम करने पर जोर देना है. ये कमेटियां यह भी सुनिश्चित कराएंगी कि किसानों को नुकसान की भरपाई तुरंत हो, इसमें किसी प्रकार की देरी सामने नहीं आए. इन कमेटियों का काम ये होगा कि टेक्नोलॉजी के आधार पर फसलों की उपज का अनुमान लगाया जाए. कमेटी का काम ये भी होगा कि मौसम से जुड़े डेटा के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाए.

कृषि मंत्रालय की बनाई ये दोनों कमेटियां महालानोबिस नेशनल क्रॉप फोरकास्ट सेंटर (MNCFC) की अध्यक्षता में संचालित होंगी. एमएनसीएफसी कृषि मंत्रालय एवं किसान कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है. इन दोनों कमेटियों के बारे में डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में जानकारी दी. डॉ. सिंह के मुताबिक, इन कमेटियों में महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश. और राजस्थान सरकार के नुमाइंदे होंगे. साथ ही केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों और एजेंसियों के विशेषज्ञ भी इसमें शिरकत करेंगे.

सरकार ने बनाई कमेटी

फसलों की उपज पर बनी कमेटी 45 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट जमा करेगी. यह कमेटी फसलों की उपज को लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानी कि SOP भी तैयार करेगी. उपज बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी इंप्लीमेंटेशन पार्टनर्स को कैसे शामिल किया जाए, कमेटी इस पर भी अपनी सिफारिश देगी. इसी तरह, दूसरी कमेटी को काम दिया गया है कि वह कृषि मंत्रालय को वेदर इनफॉर्मेशन नेटवर्क डेटा सिस्टम (WINDS) बनाने में मदद करे. इस सिस्टम की मदद से पूरे देश में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और ऑटोमेटिक बारिश के अनुमानों की जानकारी जुटाने में मदद मिलेगी.

डॉ. सिंह ने संसद में कहा, जलवायु परिवर्तन से पैदा हुई खराब मौसम और प्राकृतिक आपदा की चुनौतियां बड़ी हैं जिससे भारतीय मौसम विभाग बखूबी से निपट रहा है. आईएमडी मौसमी चेतावनी और जलवायु पूर्वानुमानों की सटीक चेतावनी देता है जिसका फायदा पूरे देश और अलग-अलग पक्षों को मिल रहा है. आईएमडी खेती-किसानी से जुड़ी एडवायजरी सर्विस AAS का संचालन करता है. इसमें ग्रामीण कृषि मौसम सेवा भी एक है जिसका फायदा देश के किसानों को मिलता है.

आईएमडी का बड़ा रोल

ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के अंतर्गत किसानों को जिला और ब्लॉक स्तर पर अगले 5 दिनों का मौसम पूर्वानुमान बताया जाता है. इसके लिए 130 एग्रोमेट फील्ड यूनिट्स बनाए गए हैं जो स्टेट एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटीज, इंस्टीट्यूट्स ऑफ इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च यानी कि आईसीएआर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में स्थित हैं. फील्ड यूनिट हफ्ते में हर बुधवार और शुक्रवार को जिला और ब्लॉक स्तर पर किसानों के लिए रिपोर्ट जारी करते हैं. ये रिपोर्ट हर दिन की खेती-बाड़ी के लिहाज से किसानों तक पहुंचाई जाती है. इससे मौसम को समझने और उसके मुताबिक खेती की तैयारी में मदद मिलती है.

मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी देने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाता है. वर्तमान में 3,636 प्रखंडों के 1,21,235 गांवों के किसानों को 16,262 व्हाट्सएप ग्रुपों के माध्यम से जोड़ा गया है. इन वाट्सएप ग्रुप में राज्य कृषि विभाग के जिला और ब्लॉक स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं. इस ग्रुप में किसानों और गांवों की संख्या बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ताकि व्हाट्सएप का उपयोग करके कृषि मौसम संबंधी सलाह को किसानों तक भेजा जा सके.

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