कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बड़ा ऐलान किया है. नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में आयोजित एग्री स्टैक: टर्निंग डेटा इनटू डिलीवरी पर आयोजित एक नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान मंत्रालय ने डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन (DAM) के तहत एग्री स्टैक पहल को मजबूत करने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया है. मंत्रालय का मकसद टेक्नोलॉजी के जरिये भारत के कृषि परिदृश्य को बदलना है. मंत्रालय का मानना है कि यह फंडिंग राज्यों को किसान-केंद्रित शासन के लिए मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे को तैयार करने में मदद करेगी.
इस फंडिंग में कानूनी प्रणाली समेत किसान रजिस्ट्री विकसित करने के लिए 4,000 करोड़ रुपये और डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए 2,000 करोड़ रुपये दिए गए है. यह धनराशि पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर वितरित की जाएगी. इससे राज्यों को डिजिटल उपकरणों को अपनाने में तेजी लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा. देवेश चतुर्वेदी, सचिव (कृषि) ने किसानों की सटीक पहचान और पीएम-किसान, पीएमएफबीवाई और केसीसी जैसी योजनाओं के बिना रुकावट को सुनिश्चित करने के लिए राज्य किसान रजिस्ट्री को अपडेटेड अधिकारों के रिकॉर्ड (आरओआर) से जोड़ने के महत्व पर जोर दिया.
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण महाराष्ट्र, केरल, बिहार और ओडिशा के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) को साइन करना था. इसके साथ ही पीएसबी गठबंधन और राष्ट्रीय किसान कल्याण कार्यक्रम कार्यान्वयन सोसाइटी (एनएफडब्ल्यूपीआईएस) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को भी इस दौरान साइन किया गया. इन समझौतों का मकसद छोटे और सीमांत किसानों को किसान रजिस्ट्री से जुड़े सर्टिफिकेशन के जरिये से ऋण सेवाओं तक डिजिटल पहुंच प्रदान करना, कागजी कार्रवाई को कम करना और वित्तीय मदद को मजबूत करना है.
इस सम्मेलन में विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) दिशा-निर्देशों को भी लॉन्च किया किया. टेक्निकल सेशन में पुराने आदिवासी भूमि रिकॉर्ड और फसल सर्वेक्षण डेटा में गलतियों जैसी चुनौतियों पर विचार किया गया. साथ ही कार्यकुशलता में सुधार के लिए रिमोट सेंसिंग, एआई/एमएल इक्विपमेंट और ऑटोमैटिक डेटा वैरीफिकेशन जैसे समाधानों का प्रस्ताव दिया गया.
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में एडीशनल सेक्रेटरी (डिजिटल) प्रमोद कुमार मेहरदा ने डेटा क्वालिटी एश्योरेंस और यूनाइटेड फार्मर सर्विस इंटरफेस (यूएफएसआई) स्टैंडर्ड को फॉलो करने की जरूरत पर जोर दिया. यह पहल किसानों को डिजिटली वैरीफिकेशन सर्टिफिकेट (डीवीसी) और किसान प्राधिकरण प्रणाली जैसे उपकरणों से सशक्त बनाने के लिए तैयार है, जिससे भूमि और फसल की जानकारी को सुरक्षित रूप से साझा किया जा सके. कृषि मंत्रालय का मानना है कि पारदर्शी शासन के लिए टेक्नोलॉजी का फायदा उठाने के लिए उसकी प्रतिबद्धता समावेशी, डेटा-संचालित कृषि विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह पूरे भारत में लाखों किसानों के लिए सेवाओं तक बेहतर पहुंच का वादा करता है.
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