प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त आने वाली है. इस बीच अपात्र किसानों द्वारा ली गई पीएम किसान स्कीम की रकम की वसूली सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही है. इसके लिए सरकार ने कई फैसले लिए और राज्यों को रिकवरी के लिए निर्देश दिया गया. लेकिन रिकवरी का आंकड़ा नाम मात्र का रहा है. इससे पता चलता है कि रिकवरी के लिए की जाने वाली कार्रवाई उतनी कारगर नहीं है जिससे कि किसान आसानी से पीएम किसान के पैसे लौटा दें. वहीं, किसानों का कहना है कि सरकार ने उन्हें पहले ही वेरिफिकेशन करके इस योजना से बाहर क्यों नहीं निकाला.
दूसरी ओर अधिकारी भी रिकवरी पर अधिक जोर नहीं दे रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि रिकवरी के लिए अभी तक कोई ठोस कानूनी प्रावधान नहीं है क्योंकि यह काम पूरी तरह से ऐच्छिक है. यानी किसानों को खुद ही पैसा लौटाने का निर्देश है. ऐसे में देखना होगा कि रिकवरी की दर कहां तक पहुंचती है.
इसके अलावा, राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को आयकर दाता, सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारी, राज्य/केंद्र सरकार, संवैधानिक पद धारक आदि जैसे उच्च आय समूहों के कारण चिह्नित अपात्र किसानों को दी गई किसी भी राशि की वसूली करने का अधिकार है. देश भर में अब तक अपात्र लाभार्थियों से 416 करोड़ रुपये की राशि वसूल की गई है जिसमें से, केरल में चिन्हित अपात्र लाभार्थियों से रुपये 2.43 करोड़ वसूल किए जा चुके हैं.
बता दें कि पीएम किसान की 20वीं किस्त का लंबा इंतजार अब खत्म होने वाला है. दरअसल, पिछले कुछ समय से देशभर के किसान पीएम किसान की 20वीं किस्त का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. अब उसी पीएम किसान की 20वीं किस्त का इंतजार खत्म हो गया है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक पीएम किसान की 20वीं किस्त 20 जून 2025 को किसानों के खाते में आएगी. पीएम किसान की 20वीं किस्त देशभर के लाखों किसानों के खातों में DBT के जरिए ट्रांसफर की जाएगी.
इस योजना का लाभ पीएम-किसान पोर्टल पर राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से प्राप्त सत्यापित विवरण के आधार पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) मोड के माध्यम से लाभार्थियों को दिया जाता है. यह योजना शुरू में एक ट्रस्ट-आधारित प्रणाली पर शुरू हुई थी, जहां लाभार्थियों को राज्यों द्वारा स्व-प्रमाणन के आधार पर पंजीकृत किया गया था. शुरुआत में, कुछ राज्यों के लिए आधार सीडिंग में भी छूट दी गई थी. बाद में, इसके निवारण के लिए, पीएफएमएस (PFMS), यूआईडीएआई (UIDAI) और आयकर विभाग के साथ एकीकरण सहित कई तकनीकी हस्तक्षेप शुरू किए गए.
योजना से अपात्र किसानों को बाहर निकालने के लिए सरकार ने लैंड रिकॉर्ड का वेरिफिकेशन शुरू किया है. इसके अलावा पांच फीसदी किसानों का फिजिकल वेरिफिकेशन जरूरी किया गया है. आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है. ई-केवाईसी जरूरी हो गई है. ग्राम सभा की बैठक में लाभार्थियों की सूची का ऑडिट करने और उसे पंचायतों में डिस्प्ले करने के भी आदेश दिए गए हैं. ताकि लोगों को अपात्र किसानों का पता चले. इसकी वजह से जहां पहले 11.5 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा था. वहीं, अब लाभार्थी सिर्फ 8.5 करोड़ किसान ही रह गए हैं. सरकार की कोशिश है कि अब कोई भी अपात्र किसान योजना का फायदा न उठा पाए.
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