एक्सपोर्ट बैन और ओपन मार्केट सेल के बाद अब र‍िकॉर्ड पैदावार का दांव...क्या कम होगा गेहूं का भाव?

एक्सपोर्ट बैन और ओपन मार्केट सेल के बाद अब र‍िकॉर्ड पैदावार का दांव...क्या कम होगा गेहूं का भाव?

Wheat Price: क‍िसान नेताओं का कहना है क‍ि सरकार एक तरफ क‍िसानों की आय बढ़ाने का नारा लगा रही है तो दूसरी ओर रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं के दाम कम करने की कोश‍िश कर रही है. इससे क‍िसानों को नुकसान होगा, उन्हें आर्थ‍िक चोट पहुंचेगी.

गेहूं का दाम कम करने के ल‍िए क्या-क्या कर रही सरकार (Ministry of Agriculture). गेहूं का दाम कम करने के ल‍िए क्या-क्या कर रही सरकार (Ministry of Agriculture).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Feb 17, 2023,
  • Updated Feb 17, 2023, 7:41 AM IST

देश के कई ह‍िस्सों में गेहूं की फसल तैयार होने वाली है. इस बीच केंद्र सरकार इस कोश‍िश में जुटी हुई है क‍ि क‍िसी भी तरह से इसका बाजार भाव अप्रैल तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आसपास हो जाए. ताक‍ि बफर स्टॉक यानी सेंट्रल पूल के ल‍िए एमएसपी पर इसकी खरीद की जा सके. हालांक‍ि, सरकार की कोशिशें अभी तक ज्यादा कामयाब होते नहीं द‍िख रही हैं, क्योंक‍ि ओपन मार्केट सेल के बावजूद इसके अध‍िकतम और औसत दाम में कोई खास कमी नहीं आई है. हां, न्यूनतम दाम करीब 3 रुपये प्रत‍ि क‍िलो तक जरूर कम हो गया है. इस बीच केंद्र सरकार ने कहा है क‍ि इस साल र‍िकॉर्ड गेहूं पैदावार होगी. इस अग्र‍िम अनुमान को भी दाम कम करने की एक कोश‍िश के तौर पर ही देखा जा रहा है. 

सरकार ने गेहूं का भाव कम करने के ल‍िए बहुत पहले से ही कोश‍िश शुरू कर दी थी. क‍िसान शक्त‍ि संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र स‍िंह का कहना है क‍ि सरकार की इस कोश‍िश से क‍िसानों को नुकसान हुआ. केंद्र ने 13 मई से गेहूं और 12 जुलाई 2022 से आटा, मैदा और सूजी के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी. क्योंक‍ि ओपन मार्केट में इसका दाम बढ़ रहा था. इससे क‍िसानों को आर्थ‍िक चोट पहुंची. अब ओपन मार्केट सेल और सस्ता आटा बाजार में लाकर अप्रैल में आने वाले नए गेहूं के दाम को कम करवाने के ल‍िए माहौल बनाया जा रहा है. इससे भी क‍िसानों को नुकसान ही होगा. सरकार एक तरफ क‍िसानों की आय बढ़ाने का नारा लगा रही है तो दूसरी ओर रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं के दाम कम करने की कोश‍िश कर रही है. 

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र‍िकॉर्ड पैदावार से दाम पर पड़ेगा असर 

इस समय गर्मी तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में कुछ लोगों का कहना है क‍ि प‍िछले साल जैसी नौबत आ सकती है जब तापमान ज्यादा बढ़ने और हीट वेब की वजह से उत्पादन पर बुरा असर पड़ा था. हालांक‍ि, केंद्र सरकार ने कहा है क‍ि देश में गेहूं का उत्‍पादन (रिकॉर्ड) 1121.82 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 44.40 लाख टन अधिक है. मार्केट के जानकारों का कहना है क‍ि इससे ओपन मार्केट में गेहूं के भाव पर असर पड़ेगा. 

उधर, यह भी एलान हो गया है क‍ि गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को काबू में रखने के लिए ओपन मार्केट सेल के तहत ई-नीलामी मार्च-2023 के दूसरे सप्ताह तक हर बुधवार को की जाएगी. भारतीय खाद्य निगम ने 15 फरवरी, 2023 को जो दूसरी ई-नीलामी की है, उसमें 1060 से अधिक बोलीकर्ताओं ने हिस्सा लिया. ज‍िन्हें 3.85 लाख म‍िट्र‍िक टन गेहूं की बिक्री की गई. देखना यह है क‍ि क्या र‍िकॉर्ड पैदावार के एलान और ओपन मार्केट सेल से मार्च के अंत तक क‍ितना असर पड़ेगा.  

क‍ितनी रही ई-नीलामी की औसत दर 

दूसरी ई-नीलामी में 100 से 499 म‍िट्र‍िक टन की मात्रा की अधिकतम मांग थी. इसके बाद 500-1000 एमटी मात्रा की मांग दूसरे नंबर पर रही. तीसरे नंबर पर 50-100 म‍िट्र‍िक टन गेहूं की मांग रही. इससे पता चलता है कि नीलामी में छोटे और मंझोले आटा मिल वालों तथा कारोबारियों ने सक्रिय हिस्सा लिया. एकमुश्त 3000 एमटी की अधिकतम मात्रा के लिए केवल पांच बोलियां ही प्राप्त हुई थीं. नीलामी में एफसीआई ने भार-आधारित औसत दर 2338.01 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल जारी की थी. दूसरी ई-नीलामी में एफसीआई ने 901 करोड़ रुपये अर्जित किए.

सस्ते को और सस्ता क‍िया  

केंद्र सरकार ने आटा सस्ता करने के ल‍िए केंद्रीय भंडार और नाफेड जैसी संस्थाओं को बिना ई-नीलामी के तीन लाख म‍िट्र‍िक टन गेहूं का आवंटन किया है. पहले रियायतों दरों पर गेहूं 23.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उठाया जा सकता था. इसी तरह इस योजना के तहत सस्ता आटा भी जनता को उपलब्ध कराया जाता. जो 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होता. लेक‍िन सरकार ने अब इसे और कम कर द‍िया. जिसके अनुसार गेहूं 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम और आटा एमएसपी की दर से ऐसे भंडारण से उठाया जा सकता है, जिसकी कीमत 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होगी. 

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को उपरोक्त योजना के तहत आठ राज्यों में 68,000 म‍िट्र‍िक टन गेहूं उठाने की अनुमति दी गई है. जबक‍ि नाफेड को एल लाख म‍िट्र‍िक टन गेहूं का आवंटन हुआ है. इसी तरह केंद्रीय भंडार को 1.32 एलएमटी गेहूं आवंट‍ित किया गया है, ताकि देश भर में आटे की कीमत को नीचे लाया जाए. ओपन मार्केट सेल के तहत बिक्री के लिए 30 लाख म‍िट्र‍िक टन गेहूं रखा गया था, जिसमें से 25 एलएमटी से अधिक उठा लिया गया है.

कब क‍ितना रहा भाव

  • 25 जनवरी को देश में गेहूं का औसत दाम 33.43 रुपये प्रत‍ि क‍िलो था. अध‍िकतम दाम 49 और न्यूनतम दाम 20 रुपये रहा. इसी तरह आटा का औसत भाव 37.95, अध‍िकतम 67 और न्यूनतम 23 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. 
  • इस एलान के चार द‍िन बाद 29 जनवरी को गेहूं का औसत भाव 33.05, अध‍िकतम 49 और न्यूनतम दाम 21 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. आटा का औसत भाव 37.69, अध‍िकतम 64 और न्यूनतम 23 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. ये आंकड़े उपभोक्ता मामले विभाग के हैं.  
  • 6 फरवरी को गेहूं का औसत भाव 33.49 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. अधिकतम दाम 50 और न्यूनतम 19 रुपये रहा. जबक‍ि आटा का औसत भाव 38.06 रुपये प्रत‍ि क‍िलो, अध‍िकतम दाम 67 और न्यूनतम 23 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. 
  • 16 फरवरी को औसत दाम 33.37 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. अध‍िकतम दाम पहले की तरह 50 रुपये प्रत‍ि क‍िलो पर कायम है. जबक‍ि न्यूनतम भाव 20 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा. सरकार की कोश‍िशों से न्यूनतम दाम में 3 रुपये प्रत‍ि क‍िलो की कमी द‍िखाई दे रही है. रबी मार्केट‍िंंग सीजन-2023-24 के ल‍िए गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है.  

(Source: Department of Consumer Affairs)  

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