प्याज की निर्यात बंदी से किसान और ट्रेडर दोनों परेशान नजर आरहे हैं. लेकिन पौने दो महीने बाद भी केंद्र सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया है. ऐसे में महाराष्ट्र के बाद अब प्याज उत्पादक गुजरात से भी एक्सपोर्ट बैंन के खिलाफ आवाज उठने लगी है. गुजरात के भावनगर की महुवा एपीएमसी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर एक्सपोर्ट बैंन का फैसला वापस लेने की मांग की है. एपीएमसी के अध्यक्ष ने वाणिज्य मंत्री को लिखे पत्र में इस फैसले से हो रही परेशानी का जिक्र किया है. मंडी प्रबंधन ने किसानों के हित में इसे जल्द से जल्द वापस लेने की मांग की है. उधर महाराष्ट्र में इसे लेकर अब किसानों का सब्र जवाब देने लगा है और वो अब मंडियों में प्याज की नीलामी बंद करवाने पहुंचने लगे हैं.
एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी, भावनगर के अध्यक्ष घनश्याम भाई पटेल ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में कहा है कि 'जय किसान' के साथ यह कहना चाहता हूं कि केंद्र सरकार के प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से कीमतें अब पहले की तुलना में सिर्फ 25% रह गई हैं. एक्सपोर्ट बैन होने की वजह से आवक बढ़ गई है. जिससे किसानों को कम दाम मिल रहा है.
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पटेल ने आवक का उदाहरण देते हुए वाणिज्य मंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि 28 जनवरी को महुवा एपीएमसी में एक ही दिन में प्याज के 4,00,000 (चार लाख) बैग प्राप्त हुए हैं. जिससे कीमत काफी घट गई है. उन्होंने कहा कि पिछले सीजन में किसानों ने घाटा उठाकर प्याज बेचा था, आज फिर घाटा उठाने की नौबत आ गई है.
प्याज उगाने वाले किसानों को नुकसान से बचाने के लिए तत्काल प्रभाव से निर्यात पर प्रतिबंध हटाया जाए. पटेल ने कहा कि किसान अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए प्याज उगाते हैं. न केवल लोगों को सस्ते में खिलाने के लिए, बल्कि वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए, कृपया किसानों की पीड़ा को दूर करें.
एक्सपोर्ट बैंन के फैसले से किसानों का प्याज का पूरा एक सीजन बर्बाद हो गया है. आमतौर पर दिसंबर के महीने से खरीफ सीजन का प्याज खेत से निकलना शुरू होता है. उसी वक्त सरकार ने एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया. जिससे अच्छी कमाई करने के उनके मंसूबों पर पानी फिर गया. केंद्र सरकार ने 7 दिसंबर की देर रात प्याज एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था. तब से इस फैसले का लगातार विरोध हो रहा है लेकिन सरकार ने उसे वापस नहीं लिया. इससे किसानों का लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है क्योंकि उनका पूरा सीजन बर्बाद हो गया है. जब किसानों के पास रबी सीजन का प्याज था तब सरकार में 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाई हुई थी.
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