Advisory for Farmers: धान की खेती में हो सकता है ब्राउन प्लांट होपर का अटैक, पूसा ने जारी की एडवाइजरी 

Advisory for Farmers: धान की खेती में हो सकता है ब्राउन प्लांट होपर का अटैक, पूसा ने जारी की एडवाइजरी 

कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें, कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें. मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें. उसके बाद यदि प्रकोप अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें. 

किसानों के लिए एडवाइजरी जारी. किसानों के लिए एडवाइजरी जारी.
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 19, 2024,
  • Updated Aug 19, 2024, 3:11 PM IST

भारतीय कृष‍ि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने धान की खेती को लेकर एक महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है. इसमें कहा गया है क‍ि इस समय धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण हो सकता है, इसल‍िए किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचले भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें. इस समय धान की फसल वानस्पतिक वृद्वि की स्थिति में है, इसल‍िए फसलों में कीटों की निगरानी जरूरी है. तना छेदक कीट की निगरानी के ल‍िए फिरोमोन ट्रैप लगाएं. एक एकड़ में 3-4 ट्रैप काफी हैं. धान की खेती में अगर पत्त्ता मरोंड़ या तना छेदक कीट का प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दाने 10 किलोग्राम प्रत‍ि एकड़ का बुरकाव करें.

इस मौसम में किसानों को सलाह है कि स्वीट कोर्न (माधुरी, विन ओरेंज)  तथा बेबी कोर्न (एच एम-4) की बुवाई मेड़ों पर करें. किसानों को सलाह है कि, गाजर (उन्नत किस्म- पूसा वृष्टि) की बुवाई मेड़ो पर करें. बीज दर 4-6 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बुवाई करें. बुवाई से पहले बीज को केप्टान 2 ग्राम प्रति क‍िलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. खेत तैयार करते समय खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें.

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प्याज की रोपाई करने का समय

पूसा के कृष‍ि वैज्ञान‍िकों ने कहा है क‍ि यदि टमाटर, मिर्च, बैंगन फूलगोभी व पत्तागोभी की पौध तैयार है तो मौसम को ध्यान में रखते हुए रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. किसानों को सलाह है कि फूलगोभी की पूसा शरद, पूसा हाइब्रिड-2 पंत शुभ्रा (नवम्बर-दिसम्बर) की रोपाई के ल‍िए पौध तैयार करना शुरू करें. खरीफ प्याज की तैयार पौध की रोपाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें.

मधुमक्खियों की महत्चपूर्ण भूम‍िका

इस समय सरसों साग-पूसा साग-1, मूली-वर्षा की रानी, समर लोंग, लोंग चेतकी; पालक-आल ग्रीन तथा धनिया-पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें. कद्दूवर्गीय सब्जियों को ऊपर चढाने की व्यवस्था करें ताकि बार‍िश से सब्जियों की लताओं को गलने से बचाया जा सके. कद्दूवर्गीय एवं अन्य सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि, वे परागण में सहायता करती है. इसलिए जितना संभव हो मधुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें. 

फल मक्खी का कंट्रोल कैसे होगा 

कीड़ों एवं बीमारियों की निरंतर निगरानी करते रहें, कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क रखें व सही जानकारी लेने के बाद ही दवाईयों का प्रयोग करें. फल मक्खी से प्रभावित फलों को तोड़कर गहरे गड्डे में दबा दें. फल मक्खी से फसलों को बचाने के ल‍िए खेत में विभिन्न जगहों पर गुड़ या चीनी के साथ (कीटनाशी) का घोल बनाकर छोटे कप या किसी और बरतन में रख दें. ताकि फल मक्खी का नियंत्रण हो सके. मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा दें. उसके बाद यदि प्रकोप अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें. 

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