Rajasthan: टमाटर बिक रहा 170 रुपये किलो, किसान को क्या मिल रहा?

Rajasthan: टमाटर बिक रहा 170 रुपये किलो, किसान को क्या मिल रहा?

राजस्थान की राजधानी जयपुर में  टमाटर 170 रुपये किलो तक ग्राहकों को मिल रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि महंगे होते टमाटर का फायदा क्या किसानों को मिल रहा है?

महंगे होते टमाटर में किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. फोटो- Madhav Sharmaमहंगे होते टमाटर में किसानों को कोई लाभ नहीं हो रहा है. फोटो- Madhav Sharma
माधव शर्मा
  • Jaipur,
  • Jul 12, 2023,
  • Updated Jul 12, 2023, 2:18 PM IST

पिछले लगभग एक महीने से टमाटर के भावों ने बाजार में हाहाकार मचाया हुआ है. देशभर में टमाटर 200 रुपये किलो तक बिक रहा है. राजस्थान की राजधानी जयपुर में  टमाटर 170 रुपये किलो तक ग्राहकों को मिल रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि महंगे होते टमाटर का फायदा क्या किसानों को मिल रहा है? किसान तक ने इस सवाल के जवाब ढूंढें हैं. जवाब यही आया है कि महंगाई के बीच टमाटर उगाने वाले किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा है. 

तीन बीघा में टमाटर बोये, बारिश ने धो दिए अरमान

जयपुर जिले की चौमू तहसील के गांव चिमनपुरा के रहने वाले किसान पप्पू यादव से किसान तक की मुलाकात हुई. पप्पू सब्जी उगाने वाले किसान हैं. फिलहाल तीन बीघा में टमाटर बो रखा है, लेकिन दुखी हैं. बताते हैं, “भाव भले ही कहीं भी पहुंच जाएं. किसानों को कोई फायदा नहीं होता. क्योंकि फिलहाल मुझे 40-45 रुपये किलो का भाव मिल रहा है.

जबकि टमाटर का भाव ग्राहकों तक पहुंचते-पहुंचते 200 रुपये किलो हो जाता है. इसीलिए मेरा सवाल तो यह है कि मुझसे खरीदने से ग्राहक तक पहुंचने में 110-160 रुपये का अंतर क्यों है? इस अंतर का अधिकतर हिस्सा किसानों को क्यों नहीं मिलता? ”

इसके अलावा बारिश के सीजन में सब्जियों में काफी खराबा भी होता है. मेरे तीन बीघा के खेत में पूरे टमाटर में कीड़े लग गए हैं. जबकि मैं इससे बचाव के लिए सारी कोशिश कर रहा हूं. इसीलिए मंडी में भाव नहीं मिलने के साथ-साथ खेत में भी नुकसान हो रहा है. 

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जब फसल थी तब भाव नहीं, अब मिल रहा भाव

पप्पू बताते हैं कि गर्मी के सीजन में टमाटर की खेती अच्छी होती है. इसीलिए तब मैंने चार बीघे में टमाटर उगाए थे. लेकिन तब बाजार में भाव ही नहीं मिले. बमुश्किल दो रुपये किलो का भाव मुझे मिला था. तब मुझे 25-30 हजार रुपये का घाटा हुआ था. इस घाटे से उबरने के लिए मैंने अप्रेल में फिर से तीन बीघे में टमाटर बो दिया. क्योंकि मैं जानता था कि बरसात के दिनों में भाव बढ़ते हैं, लेकिन जितने भाव बढ़े उसके अनुपात में मेरा यानी सभी किसानों का लाभ नहीं बढ़ा. 

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बिचौलियों का दबदबा, घाटे में किसान

पप्पू बताते हैं, “घाटे की वजह बाजार यानी मंडी में बैठे बिचौलिये हैं. यही भाव तय करते हैं. ग्रेडिंग के नाम पर भी उपज में कमी निकाल कर उसका भाव कम करते हैं. टमाटर का ही उदाहरण देख लीजिए. मुझे 40-45 रुपये प्रति किलो का भाव मंडी में आड़तिये दे रहे हैं, लेकिन वही टमाटर जयपुर मंडी में 100 रुपये किलो पहुंच रहा है. जबकि चौमू से जयपुर के लिए इतना भाड़ा नहीं लगता.”

चौमू है सब्जी का हब

जयपुर जिले में चौमू में सबसे अधिक सब्जियों का उत्पादन होता है. यहां के किसान मुख्य फसलों के अलावा हर खेत में किसी न किसी सब्जी की फसल उगाते हैं. इसीलिए जयपुर की मंडियों में सबसे अधिक सब्जी चौमू से ही पहुंचती हैं. एक अनुमान के मुताबिक चौमू से रोजाना करीब 40 छोटे ट्रक सब्जी जयपुर पहुंचती है. 


 

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