राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में 200 सीटों पर प्रचार अपने चरम पर पहुंच रहा है. कांग्रेस-बीजेपी ने सभी 200 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. लेकिन प्रदेश की कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां चुनाव बीजेपी-कांग्रेस से इतर कुछ अलग ही मुद्दों पर लड़े जा रहे हैं. ऐसा ही एक मजेदार चुनाव गंगापुर विधानसभा सीट पर हो रहा है. दरअसल, करौली जिले में पांचना बांध के पानी के लिए निकली नहरों में बीते 16 साल से पानी नहीं छोड़ा गया है. बीते पांच साल से ग्रामीण नहरें चालू कराने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय लोग इस समस्या को लेकर हाइकोर्ट तक पहुंचे. हाइकोर्ट ने भी प्रशासन को पानी छोड़ने के आदेश जारी किए, लेकिन उनकी पालना नहीं हुई. नहरें बंद होने से 47 गांवों की आबादी प्रभावित है. इसीलिए यहां पीलौदा गांव के रहने वाले रघुवीर मीणा ने चुनावी दंगल में उतरने की ठानी है.
पांचना डैम कमांड एरिया विकास परिषद के अध्यक्ष रघुवीर गंगापुर विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने अपना नामांकन भी भर दिया है.
इस बार यहां से कांग्रेस ने निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा को टिकट दिया है. जबकि भाजपा ने पूर्व विधायक मानसिंह गुर्जर को टिकट दिया है. रामकेश पहले बसपा और 2018 में निर्दलीय जीते थे. नहरों में पानी नहीं छोड़ने के विरोध में रघुवीर चुनावी मैदान में हैं.
वे किसान तक को बताते हैं, “पिछले पांच से हम नहरें चालू कराने की मांग कर रहे हैं. हाइकोर्ट ने भी पानी छोड़ने के आदेश दिए, लेकिन प्रशासन ने उन आदेशों की भी अवहेलना की है. हमारी मांग को कहीं सुना ही नहीं जा रहा था. इसीलिए हमारे पास आखिरी रास्ता चुनाव लड़ने का ही बचा.”
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पूर्वी राजस्थान के करौली जिले में बने पांचना बांध से सटे गांवों के खेत पिछले 14 साल से प्यासे हैं. बांध से निकली नहरों को बंद कर देने के कारण करौली और गंगापुर जिले के करीब 47 गांवों के खेतों को ना तो सिंचाई के लिए पानी मिल रहा है और ना ही ग्रामीणों को पीने के लिए पानी की सप्लाई हो रही है. इन 47 गांवों में 35 गांव कमांड एरिया के हैं और बाकी बांध के नज़दीक बसे गांव हैं.
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मीणा दावा करते हैं कि नहरें बंद होने से दोनों जिलों में करीब 40 हजार बीघा खेती की भूमि की सिंचाई नहीं हो पा रही है. इससे करीब 1400 करोड़ रुपए की खेती का सीधा नुकसान हुआ है. पानी बंद होने से 1.25 लाख लोगों की आबादी प्रभावित हो रही है. राज्य सरकार ने वर्ष 2006 के बाद बिना कोई कारण बताए बांध से निकल रही नहरें बंद कर दी. ग्रामीणों की लगातार मांग के बाद भी नहरें शुरू नहीं हुईं.
नहरें शुरू कराने की अपनी मांग को लेकर ग्रामीणों ने पांचना डैम कमांड एरिया विकास परिषद नाम से संस्था तक बना ली है. इस संस्था ने मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री और तमाम संबंधित अधिकारियों तक नहरें शुरू कराने की मांग पहुंचाई है, लेकिन 16 साल से कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. इसीलिए रघुवीर मीणा कहते हैं कि हमें चुनावी रास्ता ही आखिरी रास्ता समझ में आया. हम चाहे चुनाव हारें या जीतें , लेकिन हमारी मांग रजिस्टर जरूर होगी.