पशुओं के लिए वरदान मानी जाने वाली नेपियर घास अब राजस्थान की हर एक ग्राम पंचायत में पहुंचेगी. इससे प्रदेश के किसानों को हरे घास के संकट से छुटकारा मिलेगा. राजस्थान सरकार ‘राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन’ (आरएसपीडीएम) के तहत प्रदेश की सभी 11,283 ग्राम पंचायतों में हाइब्रिड नेपियर घास की प्रदर्शनी लगाने जा रही है. इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूरी दे दी है. बता दें कि नेपियर घास को बहुवर्षीय चारा फसल भी कहते हैं. जल्द ही इस संबंध में पूरा कार्यक्रम बनाया जाएगा.
राजस्थान बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन के अंतर्गत हाइब्रिड नेपियर घास की प्रदर्शनी राजस्थान की प्रत्येक ग्राम पंचायत में लगाई जा रही है. यह प्रदर्शनी 0.2 हेक्टेयर भूमि में प्रगतिशील किसानों, विभाग के फार्म, कृषि प्रशिक्षण केन्द्र (एटीसी) एवं प्रमुख गौशालाओं में लगाई जाएगी. इसके लिए राज्य सरकार ‘कृषक कल्याण कोष’ से 23 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
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राजस्थान सरकार ने साल 2023-24 के बजट में इस संबंध में घोषणा की थी. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान में पशुओं के लिए सालभर हरा चारा नहीं मिलता है. इस समस्या को दूर करने के लिए ही यह प्रदर्शनी लगाई जा रही हैं. इससे हजारों की संख्या में किसान लाभांवित होंगे.
नेपियर एक हाइब्रिड घास होती है. जो एक बार रोपाई के बाद अगले 6-7 साल तक पशु चारे का उत्पादन दे सकती है. इस घास को किसी खास जलवायु या मिट्टी की जरूरत नहीं होती. इसे किसी भी तरह की जलवायु और मिट्टी में उगाया जा सकता है. नेपियर घास का वैज्ञानिक नाम पेन्नीसेटम परप्यूरियम है.
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नेपियर घास को रबी सीजन की कटाई के बाद खरीफ मौसम और फरवरी-मार्च महीनों में लगाया जाता है. इसे किसान आम भाषा में हाथी घास भी कहते हैं. क्योंकि यह करीब 15 फीट तक ऊंची होती है. किसान इसे 10-12 फीट काटकर छोड़ देते हैं. इसके बाद बची हुई घास फिर से बढ़ने लगती है.
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, नेपियर घास में सामान्य हरे चारे के मुकाबले 18-20 प्रतिशत तक प्रोटीन और 35 प्रतिशत ज्यादा क्रूड फाइबर होता है. नेपियर घास गर्म और आर्द्रता वाले क्षेत्रों में लगाई सही से उगती है. चूंकि राजस्थान एक शुष्क प्रदेश है इसीलिए नेपियर घास के लिहाज से यह उपयुक्त जगह है. साथ ही प्रदेश की जलवायु के हिसाब से नेपियर घास मवेशियों के लिए सस्ता और अच्छा चारा है.
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