राजस्थान के उत्तरी और पश्चिमी जिलों में पेयजल और सिंचाई की सबसे बड़ी इंदिरा गांधी नहर के पानी का निर्धारण तय हुआ है. इसके तहत मार्च महीने की 21 तारीख तक इंदिरा गांधी नहर, भाखड़ा और गंग कैनाल को मिलने वाले पानी का निर्धारण किया गया है. पानी के निर्धारण की प्रक्रिया भाखड़ा ब्यास मैंनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) की तकनीकी समिति की मीटिंग में होता है. इस मीटिंग में इंदिरा गांधी नहर, भाखड़ा ब्यास और गंग कैनाल में 21 मार्च तक छोड़े जाने वाले पानी को लेकर निर्णय हुआ है.
बता दें कि इंदिरा गांधी नहर की कुल लंबाई 649 किलोमीटर है, इसमें से 204 किलोमीटर नहर राजस्थान में होकर जाती है. बीबीएमबी की इस बैठक में राजस्थान से उत्तर हनुमानगढ़ के चीफ इंजिनियर अमरजीत सिंह मेहरड़ा शामिल हुए.
बीबीएमबी की बैठक में निर्णय हुआ कि इंदिरा गांधी नहर में 21 मार्च तक 10550 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाएगी. 21 मार्च के बाद आईजीएनपी में सात दिन के लिए पेयजल की आपूर्ति भी की जाएगी. सात दिन यानी 28 मार्च तक इंदिरा गांधी नहर में पीने के लिए आठ हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा.
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आईजीएनपी में जितने पानी की जरूरत थी और किसानों ने जितनी डिमांड की, उतना पानी मिल गया है. आईजीएनपी के किसानों को आठ दिन के अंतराल में सिंचाई के लिए पानी दिया जाएगा.
इससे श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर क्षेत्र के किसानों खासकर गेहूं के किसानों को काफी लाभ होगा. साथ ही पीने के लिए भी पूरे पानी की आपूर्ति की जाएगी. इससे गर्मियों में लोगों को पानी की किल्लत नहीं होगी.
बीबीएमबी की इसी मीटिंग में निर्णय लिया गया कि भाखड़ा नहर प्रणाली को 21 मार्च तक 1200 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाएगी. आईजीएनपी की तरह 21 मार्च से 28 मार्च तक पेयजल की आपूर्ति की जाएगी. इसके अलावा गंग कैनाल को पूरे मार्च महीने में 1600 क्यूसेक और नोहर-सिद्धमुख परियोजना को मार्च महीने में 400 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जाएगी. साथ ही खारा प्रणाली में 21 मार्च तक 250 क्यूसेक पानी दिया जाएगा. गौरतलब है कि राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर से पांच जिलों में सिंचाई और करीब 10 जिलों में पीने के लिए पानी की आपूर्ति की जाती है.
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बीबीएमबी का यह निर्णय किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा. क्योंकि गेहूं इसी महीने के अंत तक पककर तैयार होगा. इसीलिए उसे एक-दो पानी की जरूरत होगी. ऐसा इसीलिए भी होगा क्योंकि तेज गर्मी से फसलें जल्दी पकने लगी हैं. इससे गेहूं का दाना कमजोर होगा. इसीलिए गेहूं को फिलहाल नमी की जरूरत है. इसके लिए पानी की जरूरत होगी ताकि किसान सिंचाई कर सकें.
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