गेहूं की नई वैरायटी: जानें उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पंजाब के लिए कौन-सी किस्म है सबसे बेहतर

गेहूं की नई वैरायटी: जानें उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और पंजाब के लिए कौन-सी किस्म है सबसे बेहतर

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने अलग-अलग राज्यों की जलवायु और खेती की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए गेहूं की कई उच्च पैदावार वाली किस्में विकसित की हैं. VL Gehun 2014, CG 1023, MP 3465 और DBW 370 किस्में किसानों के लिए उपज और रोग प्रतिरोध के लिहाज से बेहतर साबित हो रही हैं.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 04, 2025,
  • Updated Nov 04, 2025, 6:10 AM IST

केंद्रीय कृषि संस्थानों की ओर से समय-समय पर फसलों की ी्््न वैरायटी जारी की जाती है. नई वैरायटी जारी करने का मकसद होता है किसानों को अधिक से अधिक उपज का लाभ दिलाना. इसी में एक संस्थान है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् यानी ICAR. फसलों की वैरायटी तैयार करने और नई रिसर्च में इस संस्थान का बड़ा नाम है. चूंकि अनाजों में गेहूं का नाम और काम सबसे महत्वपूर्ण है, इसलिए आईसीएआर ने गेहूं की नई किस्में इजाद करने में बड़ा रोल निभाया है. तो आइए गेहूं की कुछ किस्मों के बारे में जान लेते हैं जिन्हें राज्यों की जरूरत, वातावरण और मौसम के लिहाज से तैयार किया गया है.

उत्तराखंड के लिए बेस्ट वैरायटी

वीएल गेहूं या VL Gehun 2014 गेहूं की एक ज्यादा पैदावार वाली किस्म है, जिसे ICAR-VPKAS, अल्मोड़ा ने डेवलप किया है और 1 अप्रैल, 2019 को आधिकारिक तौर पर नोटिफाई किया गया था. यह किस्म खास तौर पर उत्तराखंड की पहाड़ियों में समय पर बोई जाने वाली, बारिश पर निर्भर (ऑर्गेनिक खेती) स्थितियों के लिए सही है. 52.06 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की औसत पैदावार और 71.01 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की संभावित पैदावार के साथ, VL Gehun 2014 स्थानीय किसानों के लिए अच्छे नतीजे देती है.

VL Gehun 2014 की एक खास बात यह है कि इसमें पीले और भूरे रतुआ रोग के प्रति ज्यादा रेजिस्टेंस है, जिससे फसल की सेहत बेहतर रहती है और बीमारी का खतरा कम होता है. यह उन किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो उत्तराखंड में ज्यादा पैदावार वाली और मजबूत गेहूं की किस्म ढूंढ रहे हैं.

छत्तीसगढ़ के लिए सबसे अच्छी किस्म

CG 1023, जिसे छत्तीसगढ़ हंसा गेहूं के नाम से भी जाना जाता है, यह एक ज्यादा पैदावार वाली ब्रेड गेहूं की किस्म है जिसे खास तौर पर छत्तीसगढ़ में समय पर बोई जाने वाली और सीमित सिंचाई वाली स्थितियों के लिए विकसित किया गया है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रीजनल स्टेशन (IGKV RS), बिलासपुर की ओर से जारी की गई इस किस्म को इसकी बेहतरीन चपाती बनाने की क्वालिटी और ज्यादा जिंक कंटेंट के लिए पहचान मिली है.

ज्यादा पैदावार की क्षमता

CG 1023 प्रति हेक्टेयर औसतन 32.14 क्विंटल की पैदावार देती है, और सही स्थितियों में इसकी संभावित पैदावार 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है. यह उन किसानों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो छत्तीसगढ़ के गेहूं उगाने वाले इलाकों में अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाना चाहते हैं.

मध्य प्रदेश के लिए सबसे अच्छी वैरायटी

MP 3465 गेहूं की एक ज्यादा पैदावार वाली किस्म है जिसे JNKVV, जबलपुर ने डेवलप किया है और 29 जनवरी, 2021 को इसे ऑफिशियली नोटिफाई किया गया था. यह मध्य प्रदेश में सही समय पर बोई जाने वाली, सिंचित खेती की स्थितियों के लिए बनाई गई है, जिसकी औसत पैदावार 59.41 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और संभावित पैदावार 73.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

यह किस्म पत्ती और पीली रतुआ दोनों बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है, जो किसानों को बंपर उपज देती है. इसके अलावा, MP 3465 में अच्छी मात्रा में प्रोटीन होता है, जो इसे किसानों और खाने वाले दोनों के लिए एक अच्छा विकल्प बनाता है. मध्य प्रदेश में जो लोग अच्छी पैदावार वाली और बीमारियों से लड़ने की मजबूत क्षमता वाली गेहूं की किस्म ढूंढ रहे हैं, उन्हें MP 3465 पर जरूर विचार करना चाहिए.

पंजाब, हरियाणा के लिए उम्दा किस्म

करण वैदेही (DBW 370) गेहूं की एक अच्छी किस्म है, जिसे भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानों में सिंचित इलाकों में जल्दी बुवाई के लिए सिफारिश की गई है. यह मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी को छोड़कर) जैसे इलाकों में उगाई जाती है. यह किस्म उन इलाकों में अच्छी पैदावार देती है जहां सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है.

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