
भारी बारिश ने इस बार अदरक की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया है, खासकर हिमाचल प्रदेश में जहां इसकी खेती बड़े पैमाने पर होती है. पिछले साल भी हमने अदरक की कीमतों में वृद्धि देखी थी क्योंकि फसल बर्बाद हुई थी. इस बार भी अदरक के दाम चढ़ने की पूरी गुंजाइश है क्योंकि बारिश से अदरक की गांठें खेत में ही खराब हो गई हैं. 'द ट्रिब्यून' के अनुसार, मिट्टी में ज्यादा नमी के कारण अदरक की फसलों को काफी नुकसान हुआ है.
उत्तरी राज्य हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में राइजोम रॉट के कारण अदरक की फसल का 25 परसेंट हिस्सा खराब हो गया. गर्मियों में हुई भारी बारिश ने जड़ों में इन्फेक्शन फैलाने के लिए एकदम सही माहौल बना दिया. इससे फसल के खराब होने की पूरी आशंका है.
स्थानीय किसान रमेश कुमार ने 'द ट्रिब्यून' को बताया, "मैं 15 साल से अदरक उगा रहा हूं, लेकिन इस साल फसल लगभग बर्बाद हो गई है." "मैंने जो बोया था, उसका लगभग आधा हिस्सा जमीन के अंदर ही सड़ गया है. हमें बाजार की कीमतों से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन अब हम कर्ज में डूब गए हैं."
भारत में एक दशक से भी ज्यादा समय बाद सबसे पहले मॉनसून आया, जिससे कई फसलें खराब हो गईं. मौसम की चुनौतियों के कारण प्याज, टमाटर, चावल, नींबू, संतरा, काजू और आम की फसलों में भारी गिरावट आई है.
एक और स्थानीय किसान, कमला देवी ने कहा, "हमारा घर हर मौसम में अदरक की बिक्री पर निर्भर रहता है." "इस साल, बीमारी ने फसल के एक बड़े हिस्से को बर्बाद कर दिया. बीज, खाद और मजदूरी का खर्च पहले ही हो चुका है, और अब हमारे पास कुछ नहीं बचा है. हम जैसे छोटे किसानों के लिए सरकारी मदद ही एकमात्र उम्मीद है."
किसानों की आर्थिक परेशानियां ग्राहकों तक पहुंच जाती हैं. सिरमौर में अदरक की कीमतें कुछ मामलों में दोगुनी हो गई हैं. फसलों के खराब होने से सभी चीजों की कीमतें काफी बढ़ रही हैं.
अदरक की पैदावार में गिरावट इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे बढ़ता प्रदूषण मौसम की गंभीर घटनाओं को जन्म दे रहा है जो सीधे तौर पर सभी को प्रभावित करती हैं. बाढ़, सूखा और लू रहन-सहन के साथ-साथ पर्यावरण पर भी असर डाल रहे हैं.
जैसा कि देवी ने बताया, इन हालातों में किसानों के लिए सरकारी मदद ही कुछ उपलब्ध उपायों में से एक है. सरकारें एक बफर के रूप में काम कर सकती हैं, जो किसानों को सहारा देने वाली दरों पर फसलें खरीद सकती हैं और ग्राहकों को बढ़ती कीमतों से बचाने के लिए कम दरों पर सामान बेच सकती हैं. फिलहाल किसानों को इस बात की आस है कि सरकार जल्द से जल्द फसल नुकसान का पंचानामा कराए, सर्वे रिपोर्ट पर गौर करे और आर्थिक सहायत दे ताकि अगली फसल की तैयारी शुरू हो सके.