
सर्दी का मौसम दस्तक दे चुका है और अब किसानों के लिए रबी फसलों की तैयारी का समय आ गया है. इस मौसम में सरसों की खेती सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जो किसान नवंबर के पहले सप्ताह तक सरसों की बुवाई करते हैं, उन्हें बेहतर उत्पादन के साथ-साथ रोगों और कीटों से कम नुकसान देखने को मिलता है.
कृषि विभाग के सहायक संचालक राम सिंह बागरी के अनुसार, किसानों को नवंबर के पहले सप्ताह तक सरसों की बुवाई पूरी कर लेनी चाहिए. अगर बुवाई में देरी होती है तो माहो कीट (Aphid) का प्रकोप बढ़ने लगता है. यह कीट सरसों के पौधों की पत्तियों और फूलों का रस चूस लेता है, जिससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है और उत्पादन घट जाता है. समय पर बुवाई करने से पौधे मजबूत बनते हैं और कीटों से प्राकृतिक रूप से बचाव मिलता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों की फसल में सल्फर का उपयोग बहुत जरूरी है क्योंकि यह फसल में तेल की मात्रा और प्रोटीन स्तर बढ़ाने में मदद करता है. किसानों को बुवाई के समय एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) या 20:20:0:13 जैसे सल्फर युक्त उर्वरकों का उपयोग करने की सलाह दी जाती है.
इसके अलावा, सल्फर 90% WDG, थायोयूरिया और थायोग्लाइकोलिक एसिड का प्रयोग फसल में प्रोटीन सिंथेसिस को बढ़ावा देता है. ये तत्व पौधों के एंजाइम को सक्रिय करते हैं और रोगों से सुरक्षा प्रदान करते हैं.
कृषि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सरसों की बुवाई करते समय पौधों के बीच 45 सेंटीमीटर का फासला रखें. इससे पौधों को पर्याप्त धूप और हवा मिलती है, जड़ें मजबूत बनती हैं और फसल स्वस्थ रहती है. उचित दूरी से पौधों में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है और उत्पादन भी बेहतर होता है.
अगर किसान समय पर बुवाई करें, उचित उर्वरक डालें, नमी और रोग नियंत्रण पर ध्यान दें तो इस बार की सरसों की फसल से रिकॉर्ड उत्पादन मिल सकता है. सर्दी के इस मौसम में थोड़ी-सी सावधानी और नियमित देखभाल किसानों के लिए लाभदायक सीजन साबित हो सकती है.
सरसों की खेती तभी सफल होती है जब किसान सही समय पर बुवाई, संतुलित उर्वरक का प्रयोग और रोग नियंत्रण पर ध्यान दें. नवंबर का महीना सरसों की खेती के लिए सबसे उपयुक्त है- इसलिए अब देर न करें और समय पर बुवाई करके अपनी पैदावार और आमदनी दोनों बढ़ाएं.
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